राकेश दुबे@प्रतिदिन। राजस्थान सरकार हरिदेव जोशी पत्रकारिता विश्वविद्यालय और भीमराव आंबेडकर विधि विश्वविद्यालय को बंद करने की सिफारिश पर विचार कर रही की। इसे लेकर स्वाभाविक ही विरोध शुरू हो गया है। गौरतलब है कि पत्रकारिता विश्वविद्यालय का काम तेजी से चल रहा है। अनेक पाठ्यक्रमों और शोधकार्यों में बहुत-से विद्यार्थी दाखिला ले चुके हैं।
विभिन्न महकमों में शैक्षणिक और गैर-शैक्षणिक कर्मचारियों की नियुक्तियां हो चुकी हैं। ऐसे में विश्वविद्यालय को बंद करने की सिफारिश से विद्यार्थियों और कर्मचारियों के भविष्य को लेकर अनिश्चितता गहरा गई है। हालांकि कहा गया है कि इस विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों को जयपुर विश्वविद्यालय के जनसंचार केंद्र से जोड़ दिया जाएगा, मगर वहां की स्थिति पहले ही ठीक न होने के कारण विद्यार्थियों में असंतोष है।
यह बताना जरूरी है कि राजस्थान सरकार ने एक उपसमिति को पूर्ववर्ती सरकार के अंतिम छह महीनों के कामकाज की समीक्षा का दायित्व सौंपा था| पर उसने करीब सवा साल से कार्य कर रहे पत्रकारिता विश्वविद्यालय को बंद करने की सिफारिश कर दी। जबकि विश्वविद्यालय की स्थापना विधानसभा में विधेयक पारित करके की गई थी, जिस पर भाजपा के विधायकों ने भी सहमति जताई थी, तो अब उस फैसले को पलटने का क्या औचित्य है? सिर्फ राजनीति| शोषण के शिकंजो अर्थात निजी विश्वविद्यालयों का जाल तेजी से देश भर में फैलता जा रहा है, निम्न आय वर्ग के विद्यार्थियों के लिए उनमें दाखिला ले पाना टेडी खीर है|
किसी भी योजना का नाम बदलने कि कोशिश भाजपा शासित राज्यों में कुछ ज्यादा ही हो रही है| हरियाणा में भी कुछ ऐसा ही हो रहा है| कोई उत्तर देगा क्यों और अब क्यों जब योजना लागु हुई कानून बने तो क्यों चुप थे ? यह सब देश के और समाज के हित में नहीं है| थोडा आगे बढकर जनहित में सोचें नाम में क्या रखा है|
लेखक श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
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rakeshdubeyrsa@gmail.com
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