देवास। इतनी लापरवाही तो अपराध की श्रेणी में आती है। जिले में 6-6 साल बीत जाने पर भी कई निर्माण कार्य नहीं हुए हैं। वर्ष 2009 के कई कार्य अधूरे पड़े हैं। संबंधित यंत्री एवं अधिकारी इतने समय से क्या कर रहे हैं? शासन के पैसे की इस तरह बरबादी एवं कार्य में लापरवाही अक्षम्य है। ये अंतिम चेतावनी है आगामी 15 दिनों में कार्य प्रारंभ कराएं तथा जो कार्य किए जाना संभव नहीं हों, उन्हें निरस्त किया जाए, नहीं तो संबंधित यंत्री एवं अधिकारी की खैर नहीं।
कलेक्टर श्री आशुतोष अवस्थी ने ये तल्ख निर्देश आज बुधवार को कलेक्टर कार्यालय के सभाकक्ष में संपन्न ग्रामीण यांत्रिकी सेवा विभाग के कार्यों की समीक्षा बैठक में दिए। बैठक में विभाग के कार्यपालन यंत्री श्री तोमर, सभी अनुविभागीय अधिकारी, सभी उपयंत्री एवं सभी संबंधित उपस्थित थे।
कार्य हुआ नहीं मूल्यांकन हो गया
बैठक में कलेक्टर ने मनरेगा योजना के कार्यों की समीक्षा में पाया कि कई कार्य जितने हुए नहीं, उससे कहीं ज्यादा उनका मूल्यांकन कर दिया गया है। विशेषरूप से बागली क्षेत्र में ओव्हर वैल्युएशन अधिक पाया गया। ईई आरईएस ने इस बात को स्वीकार भी किया। इस पर कलेक्टर ने गंभीर आपत्ति लेते हुए कहा कि यह तो वित्तीय अनियमितता है। जितना कार्य हो उतना की मूल्यांकन कराया जाना चाहिए।
खरीदने थे सेव, खरीद लिए आम
कुछ कार्यों की समीक्षा में कलेक्टर ने पाया कि कार्यों के लिए जारी तकनीकी स्वीकृति के अनुसार कार्य नहीं कराए गए। कलेक्टर ने कहा कि तकनीकी स्वीकृति इसलिए दी जाती है कि उसके अनुरूप कार्य कराए जाएं, परन्तु ऐसा नहीं किया गया, यह तो ऐसी स्थिति है कि "खरीदने थे सेव, खरीद लिए आम"। कलेक्टर ने कहा कि कार्य के लिए जितनी राशि की तकनीकी स्वीकृति जारी होती है, उसमें अधिकतम 10 प्रतिशत तक वैरिएशन ग्राह्य होता है, परन्तु आधे से अधिक यदि अंतर है तो यह गंभीर आपत्तिजनक है। यदि कार्य में परिवर्तन की आवश्यकता हो तो टीएस अर्थात तकनीकी स्वीकृति को रिवाइज करवाएं। मनमाने ढंग से शासन के मानदण्डों के विरूद्ध कार्य न कराएं।
कार्य बहुत कम खर्चा बहुत ज्यादा
बोरखेड़ा से मोरखेड़ी, बैहरी से मालीपुरा ग्रेवल रोड एवं कुछ अन्य कार्यों की समीक्षा में कलेक्टर ने पाया कि कार्य बहुत कम हुआ है तथा खर्चा बहुत ज्यादा कर दिया गया। इस पर कलेक्टर ने निर्देश दिए कि कार्य का मैजरमैन्ट अर्थात नाप करवाकर कार्य पूरे कराए जाएं।
घटिया गुणवत्ता मिली तो छोड़ूंगा नहीं
कलेक्टर ने बैठक में कहा कि जब यंत्रिओं से कार्य की गुणवत्ता का परीक्षण करने के लिए कहा जाता है तो वे रोड पर गाड़ी से चलकर जाते हैं और परीक्षण कर देते हैं। ऐसे परीक्षण नहीं किया जाता। यंत्री रोड के अंतिम कौने तक पैदल चलकर जाएं तथा उपकरणों से रोड का परीक्षण करें। कहीं भी यदि घटिया गुणवत्ता पाई गई तो छोड़ूंगा नहीं।
तकनीकी भाषा में रिपोर्ट दें, नहीं तो डीई होगी
कलेक्टर ने बताया कि जिन कार्यों की गुणवत्ता का परीक्षण कराया गया था, उनमें से कई कार्यों की यंत्रियों द्वारा जो रिपोर्ट दी गई है उसमें लिखा है "परीक्षण किया गया, गुणवत्ता सही पाई गई"। यह रिपोर्ट गैर तकनीकी है। इस प्रकार की रिपोर्ट का अर्थ है, कार्य का परीक्षण नहीं किया गया तथा केवल खानापूर्ति की गई है। विभाग के अनुविभागीय अधिकारी एवं उप यंत्री कार्य का परीक्षण करें एवं तकनीकी भाषा में रिपार्ट दें, यदि खानापूर्ति की तो डीई अर्थात विभागीय जांच होगी।
नहीं लगाए गए शिलालेख
शासन के निर्देश हैं कि कराए जाने वाले कार्यो के पास आवश्यक रूप से एक शिलालेख लगाया जाए, जिसपर कार्य का पूरा विवरण, कुल खर्च आदि दर्ज किया जाए, जिससे कोई भी व्यक्ति उसे पढ़कर कार्य की जानकारी प्राप्त कर सके। अधिकतर कार्यों के पास ये शिलालेख नहीं लगाए गए हैं। कलेक्टर ने निर्देश दिए कि सभी कार्यों के पास शिलालेख लगाए जाएं। इसके लिए 30 अप्रेल अंतिम तिथि निर्धारित की गई।
दो स्टेडियम बनेंगे
बताया गया कि ग्रामीण खेलकूद योजना के अंतर्गत पुष्पगिरि के पास 1 करोड़ 60 लाख रूपये की लागत से स्टेडियम निर्माण किया जाना है। इसके लिए 7 एकड़ जमीन चिन्हांकित कर ली गई है। इसी प्रकार देवास विकासखण्ड के अंतर्गत विजयागंज मण्डी क्षेत्र में एक स्टेडियम का निर्माण किया जाना है। कलेक्टर द्वारा जिला पंचायत के माध्यम से कार्रवाई किए जाने के निर्देश दिए गए।
18 सड़कें अपूर्ण
कलेक्टर ने मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना की समीक्षा में पाया कि जिले में 28 सड़कों के निर्माण अपूर्ण पड़े हैं। कलेक्टर ने प्रत्येक कार्य की समीक्षा की तथा उन्हे पूर्ण करने की अंतिम तिथि तय करते हुए, उन्हें पूर्ण करने के निर्देश दिए।
मस्टर जारी करें तथा कार्य कराएं
कलेक्टर ने मनरेगा योजना के अंतर्गत सभी ग्राम पंचायतों में कार्य कराए जाने के लिए मस्टर जारी किए जाने की समीक्षा में पाया कि कई उप यंत्रिओं द्वारा कई ग्राम पंचायतों में मस्टर जारी नहीं किए जाने के कारण कार्य प्रारंभ नहीं हुए हैं। कलेक्टर ने उप यंत्रिओं को सख्त निर्देश दिए कि मस्टर जारी कर कार्य प्रारंभ कराए जाएं।
800 कुएं अधूरे
कलेक्टर ने कपिलधारा कूप निर्माण की समीक्षा में पाया कि जिले में कुल स्वीकृत 1616 कुओं में से 800 तालाब अधूरे पड़े हैं। एक कुए के निर्माण पर देवास जिले में लगभग ढाई से तीन लाख रूपये का व्यय आता है। अधूरे कुओं को पूर्ण करने में लगभग 8 करोड़ रूपये का व्यय किया जाना है। कलेक्टर ने सभी कुओं को पूर्ण किए जाने के लिए 10 जून अंतिम तिथि निर्धारित की। ये भी निर्देश दिए कि कार्य ग्राम पंचायत के माध्यम से कराया जाए, हितग्राही से यह कार्य नहीं कराया जाए।
7 साल में नहीं बने निर्मल नीर कुए
जिले में निर्मल नीर कुओं के निर्माण की समीक्षा में पाया गया कि वर्ष 2008 के प्रारंभ किए गए 53 निर्मल नीर कुए आज तक पूरे नहीं हुए हैं। कलेक्टर ने कार्य की इतनी धीमी गति पर नाराजगी व्यक्त करते हुए, तुरंत पूर्ण कराए जाने के निर्देश दिए।
पपीता लग गया, पेड़ गिर गया फिर भी काम अधूरा
नंदन फलोद्यान की समीक्षा में पाया गया कि गत 5 वर्षों के स्वीकृत कार्य भी पूरे नहीं हुए हैं। कुछ कार्यो में पपीता की फसल लगाई गई, पपीता लग गया, बिक गया तथा उसके बाद पेड़ भी गिर गया परन्तु अभी तक कार्य पूरा नहीं बताया गया। कलेक्टर ने आपत्ति व्यक्त करते हुए कार्यो का पूर्णता प्रमाण पत्र जारी करने के निर्देश दिए।
शांति धाम भी नहीं हुए पूरे
कलेक्टर ने पाया कि जिले में 192 शांतिधाम अधूरे पड़े हैं, इनमें से 151 शांतिधाम वर्ष 2013 के हैं। उन्होंने आपत्ति लेते हुए कहा कि यह तो घोर लापरवाही है। शांतिधाम के कार्य में तो बहुत कम समय लगता है, फिर इतना विलंब क्यों। खेत तालाब के भी शेष कार्य पूरे किए जाएं।
पंच परमेश्वर की 1526 सड़कें अधूरी
कलेक्टर ने पाया कि जिले में पंच परमेश्वर योजना की 1526 सड़कें अधूरी हैं, इसमें सर्वाधिक संख्या बागली की है, जहां 400 सड़कें अधूरी हैं। कलेक्टर ने रोष व्यक्त करते हुए कहा कि ग्रामीण यांत्रिकी विभाग की जिले में बहुत बड़ी फौज है, उसके बाद कार्यों में इतनी लापरवाही क्यों है। इन्हें पूर्ण कराएं। जहां सड़क समाप्त हो उस स्थान पर एक सोख्ता गढ्ढा अवश्य बनाया जाए। खेत सड़कों के 673 अधूरे कार्यों को भी पूर्ण कराए जाने के निर्देश दिए गए। खेल मैदान के अपूर्ण 312 कार्य पूरे कराए जाने के निर्देश दिए।
गलत टीएस पर होगी वसूली
कलेक्टर ने सभी यंत्रिओं को निर्देश दिए कि वे किसी भी हालत में निर्माण कार्यों की गलत तकनीकी स्वीकृति जारी न करें। यदि कहीं भी कार्यों की गलत तकनीकी स्वीकृति मिली तो शासन के निर्देश अनुसार संबंधित यंत्री से कार्य पर व्यय की गई पूरी राशि की वसूली होगी। अत: ऐसी स्थिति न बनने दें।
60-40 का अनुपात मेन्टेन करें
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के कार्यों के संबंध में कलेक्टर ने निर्देश दिए कि कार्यों में शासन के निर्देश अनुसार मजदूर एवं मशीन से कार्य कराने के लिए 60-40 का अनुपात मेन्टेन किया जाए। यदि इससे अधिक मशीन से कार्य कराया गया तो कार्रवाई होगी।