हड़ताल को लेकर संविदा कर्मचारियों ने की गेट मिटिंग और प्रदर्शन

Bhopal Samachar
भोपाल। म.प्र. के समस्त विभागों और उनकी परियोजनाओं में कार्यरत दो लाख संविदा कर्मचारी/अधिकारी 7 अप्रैल को जी.ए.डी. द्वारा तैयार की गई नियमितीकरण की नीति लागू करने, समान कार्य समान वेतन देने, नियमित कर्मचारियों के समान वेतनमान भत्ते देने, विभागीय जांच करने के उपरांत ही संविदा कर्मचारी की संविदा समाप्त किये जाने की मांग को लेकर हड़ताल पर रहेंगें।


हड़ताल को असरदार बनाने के लिए आज नर्मदा भवन स्थित मनरेगा, वाणिज्यकर अपील बोर्ड, नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण, महिला आर्थिक विकास निगम, मुख्यमंत्री ग्रामीण सड़क योजना, में कार्य करने वाले संविदा कर्मचारियों ने गेट मिंटिंग कर प्रदर्षन किया। सभी संविदा कर्मचारियों ने सामुहिक हड़ताल के आवेदन भरकर अपने विभाग प्रमुख को दे दिये हैं । 7 अप्रैल को होने वाली हड़ताल सभी जिला मुख्यालयों में की जायेगी । कलेक्टरों को मुख्यमंत्री षिवराज सिंह चैहान के नाम का ज्ञापन सौंपा जायेगा । नर्मदा भवन की गेट मिटिंग को महासंघ के प्रदेष अध्यक्ष रमेष राठौर , संविदा टी.बी. कर्मचारी संघ के राकेष मिश्रा, रविन्द्र श्रीवास्तव, नर्मदा घाटी विकास कर्मचारी संघ के अध्यक्ष अनिल ठाकुर ने संबोधित किया ।

गेट मिंटिंग में महासंघ के प्रदेष अध्यक्ष रमेष राठौर ने बताया इस प्रकार हो रहा है संविदा कर्मचारियों शोषण
(1) संविदा कर्मचारियों को बिना किसी विभागीय जांच के हटा दिया जाता है , कलेक्टर द्वारा संविदा कर्मचारियों को हटाने के पहले विभाग से अनुमति नहीं ली जाती । विभाागों ने अपने अधिकारों का विकेन्द्रीकरण कलेक्टरों और मुख्यकार्यपाल अधिकारियों को कर दिया है । परियोजना अधिकारियों की सांठ-गांठ कलेक्टरों और मुख्यकार्यपालन अधिकारियों से होने के कारण यदि संविदा कर्मचारी / अधिकारी,  परियोजना अधिकारियों की अनुचित बात नहीं मानते हैं तो, परियोजना अधिकारी कलेक्टरांे और मुख्य कार्यपालन अधिकारियों से नस्ती पर संविदा कर्मचारी की सेवा समाप्त करने अनुमोदन कर संविदा समाप्त करवा देेते हैं । अभी हाल ही में जबलपुर में मनरेगा विभाग में कार्यरत प्रोग्राम अधिकारी ऋतु तिवारी को  मुख्यकार्यपालन अधिकारी ने मानिसक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया। और अनुचित कहना नहीं मानने पर उसकी सेवाएं समाप्त करवा दी ।
 (2) संविदा बढ़ाने के लिये संविदा कर्मचारियों /अधिकारियों को परियोजना अधिकारियों को देनी पड़ती है रिष्वत । हर साल संविदा बढ़ती है, संविदा बढ़ाने नाम पर अधिकारियों के द्वारा मनमर्जी के काम करवाये जाते हैं और संविदा बढ़़वान के नाम पर परियोजना अधिकारी ब्लेक मेल करते हैं जिलों में संविदा कर्मचारियों को संविदा बढ़वाने के लिए एक - एक माह का वेतन तक देना पड़ता है।
(3) संविदा कर्मचारी की यदि मृत्यु हो जाए तो विभाग की और से कोई आर्थिक सहायता नहीं मिलती संविदा कर्मचारी आपस में चंदा करके उसकी अंन्त्येष्टी करते हैं तथा परिवार की आर्थिक मद्द करते हैं।
(4) संविदा कर्मचारियों को जब चाहे हटा दिया जाता है, हटाते वक्त उसको अपना पक्ष रखने तक का अवसर तक नहीं दिया जाता
(5) बुढ़ापे तक एक ही पद पर कार्य करते हैं किसी प्रकार की पदोन्नति, क्रमोन्नती, समयमान वेतनमान, नहीं दिया जाता ।
(6) सरकार से मिलने वाला पैसा भेले ही लैप्स हो जाए पर गृह भाड़ा भत्ता, चिकित्सा भत्ता, चिकित्सा प्रतिपूर्ति, अर्जित अवकाष, चिकित्सा अवकाष, एक्सग्रेसिया नहीं दिया जाता  ।  इसलिए म.प्र. के संविदा कर्मचारियों ने आंदोलन का निर्णय लिया है ।
(7) संविदा कर्मचारी ओवर ऐज हो गये हैं बीस साल बाद भी संविदा कर्मचारियों को नियमित करने के लिए सरकार ने कोई नीति नहीं बनाई है । वहीं दूसरी और सरकार ने बिना किसी चयन प्रक्रिया  के नियुक्त हुये गुरूजियों, षिक्षाकर्मियों, पंचायत कर्मियों जिनकी नियुक्ति सरंपचों, ग्राम समुदायों ने की थी को बिना किसी परीक्षा लिये ही नियमित कर दिया ।
स्ंाविदा कर्मचारियों की प्रमुख मांगे हैं
(1) म.प्र. के सामान्य प्रषासन विभाग (जी.ए.डी.) द्वारा संविदा कर्मचारियों को नियमित किये जाने के लिए 22 जून 2013 को एक नीति का मसौदा तैयार किया था उस मसौदे को मंत्री परिषद की बैठक में ले जाकर अनुमोदन करा कर उस नीति को लागू किया जाए ।

(2) नई सीधी भर्ती बंद कर उन पदों पर सबसे पहले संविदा कर्मचारियों को नियमित किया जाए । सीधी भर्ती में प्राथमिकता दी जाए । अनुभव के अंक दिये जायें । आयु सीमा में छुट प्रदान की जाए ।
(3) संविदा कर्मचारी, नियमित कर्मचारियों के समान कार्य करते हैं तो संविदा कर्मचारियों के समान ही  गृह भाड़ा भत्ता, चिकित्सा प्रतिपूर्ति, चिकित्सा अवकाष, अनुकम्पा निुयक्ति, चिकित्सा अवकाष, एक्सग्रेसिया, वाहन भत्ता, समय - समय पर बढ़ने वाला मंहगाई भत्ता दिया जाए ।
(4) संविदा कर्मचारी /अधिकारी की संविदा समाप्त करने के पूर्व उसको अपना पक्ष रखने का अवसर प्रदान किया जाना चाहिए । संविदा समाप्त करने से पूर्व उसकी विभागीय जांच की जाना चाहिए ।
महासंघ ने घोषणा की है कि 7 अप्रैल की प्रांतव्यापी हड़ताल के पष्चात् भी सरकार ने मांगों का निराकरण नहीं किया तो 20 अप्रैल से राजधानी भोपाल में अनिष्चितकालीन धरना आयोजित किया जायेगा । और 25 अप्रैल से अनष्चिितकालीन कलम बंद हड़ताल ।

रमेष राठौर
प्रदेष अध्यक्ष
मो. 9425004231

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