महिलाएं तड़प तड़प मर गईं, तहसीलदार बयान लेने नहीं आए

Bhopal Samachar
इंदौर। कलेक्टोरेट में बुधवार को राजस्व और पुलिस अफसरों के बीच सामंजस्य बैठाने के लिए बैठक हुई। इसमें दो थाना प्रभारियों ने जब बताया कि दो महिलाओं के बयान लेने तहसीलदार नहीं गए। उनके इंतजार में महिलाएं मर गईं। इतना सुनते ही कलेक्टर भौंचक्क रह गए। उन्होंने तहसीलदारों को फटकार लगाई।

कलेक्टर ने साफ लफ्जों में ड्यूटी पर गंभीरता बरतने की हिदायत दी। साथ ही उनकी ड्युटी सुबह 8 से अगली सुबह 8 बजे तक लगाने को कहा। ऐसे ही कई आरोप-प्रत्यारोप मय सबूत पुलिस अफसरों और थाना प्रभारियों ने राजस्व अफसरों पर लगाए।

आखिर कब तक करेंगे इंतजार
खजराना टीआई सीबी सिंह ने बताया- 6 मार्च की रात एक महिला को उसके पति ने जला दिया था। पुलिस ने अपनी कार्रवाई कर नायब तहसीलदार पीएस बेदी को फोन कर महिला के मृत्यु पूर्व बयान लेने के लिए फोन किया। वे रातभर नहीं आए। सुबह तक महिला की मौत हो गई। इतनी बड़ी लापरवाही के बाद भी अफसर सुधरने का नाम नहीं लेते। इतना सुनते ही कलेक्टर आकाश त्रिपाठी भी तिलमिलाए, लेकिन बैठक में बेदी नहीं थे।

सीबी सिंह ने अगला पॉइंट रखा कि हमारे यहां वाहनों की नीलामी के लिए वाहन महीनों से पड़े हैं। 4-5 बार विज्ञप्ति भी जारी कर दी, लेकिन अफसरों को समय ही नहीं है। ऐसे में कैसे सामंजस्य स्थापित होगा।

पालियों का बहाना बनाते हैं तहसीलदार
राजेंद्र नगर टीआई तारेश सोनी ने तहसीलदार देवदत्त शर्मा के बारे में बताया कि 16 मार्च को मंडलेश्वर की देवका बाई जलकर आई थी। उन्होंने एक तहसीलदार को मृत्युपूर्व बयान के लिए फोन लगाया तो उन्होंने कहा मेरी ड्यूटी तो 12 बजे खत्म हो गई। दूसरी पाली के देवदत्त शर्मा को लगाया तो बोले कि मेरी तो सुबह से है। इस दौरान महिला की मौत हो गई। इतना सुनते ही कलेक्टर ने श्री शर्मा को जमकर फटकार लगाई और आइंदा ईमानदारी से ड्यूटी करने की बात कही।

ADM को नियम तक नहीं पता
पुलिस अफसरों की शिकायतें चल ही रही थीं कि एडीएम दिलीप कुमार बीच में उठ गए। वे कहने लगे कि हम मृत्युपूर्व बयान सीधे बंद लिफाफे में कोर्ट को देंगे, जबकि पुलिस खुलवाकर देखती है। इस पर एसपी आबिद खान और डीआईजी राकेश गुप्ता भी गुस्सा हुए। उन्होंने कहा कि ऐसा कानून में कहां लिखा है कि बयान बंद लिफाफे में भेजे जाएं। यदि मरने वाले ने 5 और लोगों के नाम बताए तो पुलिस क्या उन्हें कोर्ट में मामला पहुंचने के बाद गिरफ्तार करेगी। पुलिस अपने हित में नहीं, बल्कि जांच के लिए बयान मांगती है।

ये समस्याएं आई सामने
नवविवाहिताओं के मामले में तहसीलदार को पंचनामा बनाने और महिलाओं के शव देखना चाहिए। पुलिस अपनी कार्रवाई करके घंटों इंतजार करती है, लेकिन तहसीलदार टालमटोल करते हैं।

मृत्युपूर्व बयान के लिए तहसीलदार फोन नहीं उठाते। यदि फोन उठाए तो पुलिस अफसर से ही अस्पताल तक आने के लिए गाड़ी उपलब्ध कराने को कहते हैं। गाड़ी भी वीआईपी मांगी जाती है।

गुंडों के खिलाफ अफसर कभी कड़ी कार्रवाई नहीं करते। पुलिस कितनी भी बड़ी और कठिन फाइल भेजे, लेकिन अफसर गुंडों को रियायत दे देते हैं।

गुंडों के खिलाफ बॉण्ड ओवर की कार्रवाई की सुचना पुलिस को दी ही नहीं जाती।

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