रायपुर/छत्तीसगढ़। देश के विभिन्न हिस्सों के साथ ही विदेशों में भी इन दिनों छत्तीसगढ़ी बांसुरी की तान सुनाई दे सकती है। जी हां छत्तीसगढ़ में बनने और लहराने से बजने वाली बांसुरियों की मांग विदेशों में बनी हुई है। मधुर ध्वनि उत्पन्न करने वाली बांसुरी की खासियत का ही परिणाम है कि इसे न केवल बांसुरीवादक बजाने के लिये बेताब रहते है वहीं विदेशों में भी मांग होने के कारण बांसुरी निर्माताओं की चांदी बनी हुई है।
यह है बांसुरी की खासियत
यूँ तो बांसुरी बजाने की अपनी कला होती है परंतु छत्तीसगढ़ की जिस बांसुरी की बात यहां हो रही है उसकी खासियत यह है कि यह लहराने से ही बज उठती है। इन्हें नक्सली इलाकों में बनाया जाता है तथा पिछले कई दिनों से इसकी मांग इटली समेत कई पश्चिमी देशों में तेजी से बनी हुई है। प्राप्त जानकारी के अनुसार हाल ही में दिल्ली स्थित एक एक्सपोर्ट हाउस ने दो हजार से अधिक बांसुरी का आर्डर बस्तर के शिल्पग्राम को दिया है। आर्डर मिलने के बाद बस्तर शिल्पग्राम के लोग बांसुरी को बनाने में जुट गये है।
यहां सौ वहां एक हजार रूपये
छत्तीसगढ़ी बांसुरी को शिल्पकार अपनी कला से परिपूर्ण करते है, बांसुरी पर जब चित्र व कलाकृति उकेरी जाती है तो बांसुरी की आकर्षणता और अधिक बढ़ जाती है। बताया गया है कि बांसुरी की कीमत राज्य में भले ही सौ रूपये से अधिक नहीं हो लेकिन विदेशों में यही बांसुरी एक हजार से अधिक कीमत में बिकती है। हालांकि विदेशों में बांसुरी की खरीदी घरों की शोभा बढ़ाने के लिये होती है लेकिन इसे बजाने वालों की भी कमी नहीं है। यह फूंककर तो बजती ही है, लहराने से भी इसकी मीठी धुन सुनाई देती है।