भोपाल। यदि आप बदमाश हैं, आपका आपराधिक रिकार्ड है, आप अपने खिलाफ एफआईआर होने से नहीं डरते, जरूरत पड़ने पर जेल जा सकते हैं तो यह नौकरी आपके लिए ही है। भारत के प्रतिष्ठित मेडिकल संस्थान इन दिनों ऐसे ही बदमाशों को नौकरी पर रख रहे हैं। पदनाम है बाउंसर।
अपनी सुरक्षा के नाम पर प्राइवेट अस्पतालों ने गुंडे बदमाशों की भर्ती शुरू कर दी है। प्रत्येक अस्पताल में 3 से 5 बाउंसरों की टीम 24 घंटे तैनात रहती है। एक टीम जाती है तो दूसरी काम पर आ जाती है। कुल तीन शिफ्टों में 15 गुंडों को एक अस्पताल में नौकरी मिल रही है।
क्या होगा काम
काम सिर्फ इतना सा होगा कि जब किसी मरीज के परिजन हंगामा करें या आपत्ति उठाएं तो उन्हें उठाकर बाहर फैंकना है। या फिर लगातार गश्त करते हुए मरीजों व अटेंडर्स में दहशत बनाए रखना है ताकि कोई आवाज ही ना उठा पाए।
कितने अस्पतालों में
फिलहाल पुराने भोपाल के 3 अस्पतालों में बाउंसरों की भर्ती की जा चुकी है। शीघ्र ही शेष अस्पतालों में भी होने वाली है।
क्या होते हैं बाउंसर
अब तक बाउंसर का चलन ‘बार-डिस्को’ और ‘पब’ तक सीमित था। ये वो नौकरीपेशा बदमाश होते हैं जो शांति भंग करने वालों को उठाकर बाहर फैंक दिया करते हैं।
सवाल यह उठता है कि जिन डॉक्टरों की सुरक्षा समाज किया करता था, जिन्हे भगवान की तरह पूजा जाता था, आज उन्हें अपनी सुरक्षा के लिए बाउंसरों की जरूरत क्यों आ पड़ी। ऐसा क्या अवैध करते हैं जिसका विरोध होता है।