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शमशाम पर कब्जा, सड़क पर अंतिम संस्कार, दबंग दमदार, प्रशासन लाचार

आष्टा/सीहोर। विकासखंड के अधिकांश ग्रामों में मृतकों के अंतिम संस्कार के लिए बनाए गए श्मशानों की निस्तार भूमि पर अतिक्रमणकारियों के कब्जे जमे हैं। जिस कारण ग्रामीणों को मृतकों के अंतिम संस्कार में परेशानी उठानी पड़ रही है।

विकासखंड के ग्राम नौगांव में लोग बीच सड़क पर चिता का अंतिम संस्कार करते हैं, रास्ते पर चिता जलने के दौरान ग्रामीण चिता को लांघकर निकलते हैं। ग्राम नौगांव में लगभग 5 एकड़ श्मशान भूमि पर दबंगों द्वारा अतिक्रमण कर निर्माण कर लिए गए हैं। इसी के चलते मजबूरन ग्रामीणों को श्मशान भूमि के नजदीक के मार्ग के बीचों बीच मृतकों का अंतिम संस्कार करना पड़ रहा है।

पत्थर जमाकर बनाया श्मशान
ग्राम नौगांव में शासन द्वारा श्मशान घाट हेतु लगभग 5 एकड़ भूमि आरक्षित की गई थी जिसमें श्मशानघाट का निर्माण होना था। किन्तु ग्राम के कुछ दबंग लोगों द्वारा उक्त समस्त श्मशान भूमि पर अतिक्रमण कर कच्चे पक्के निर्माण कर लिये गये। जिसके कारण ग्रामीणों को मजबूरीवश ग्राम के मुख्य मार्ग पर पत्थर जमाकर मृतकों का अंतिम संस्कार करना पड़ रहा है। मार्ग पर होने वाले अंतिम संस्कार के कारण मार्ग से गुजरने वाले राहगीरों को भी परेशानी का समाना करना पड़ रहा है।

कलेक्टर से दो बार लगा चुके गुहार
ग्रामीणों द्वारा अंतिम संस्कार में आ रही परेशानीयों एवं श्मशान भूमि को अतिक्रमण मुक्त करने की मांग को लेकर वर्ष 2013 व 14 में सिहोर पहुंचकर दो बार आवेदन भी दिया जा चुका है। इसके अतिरिक्त ग्रामीणों द्वारा तहसील कार्यालय आष्टा में भी उक्त आशय को लेकर अनुविभागीय अधिकारी को आवेदन दिया था।

थमाए नोटिस पर नहीं हट सका अतिक्रमण
ग्रामीणों द्वारा की गई शिकायत के बाद प्रशासन द्वारा मुआयने के बाद लगभग 40 अतिक्रमणर्ताओं को नोटिस देकर स्वेच्छा से अतिक्रमण हटाने के निर्देश दिये गये थे। तथा दी गई नियत तिथि में अतिक्रमण न हटने की स्थिति में अतिक्रमणकर्ताओं का शासन द्वारा जुर्माना कर बल पूर्वक अतिक्रमण हटाने की बात कही गई थी।

नोटिस देकर भूला प्रशासन
अतिक्रमणकार्ताओं को प्रशासन द्वारा नोटिस भेजे जाने को लगभग 8 से 9 माह बीत चुके है। किन्तु इतना समय बीतने के बाद भी नोटिस पर कोई कार्रवाई नही हो सकी जिसके कारण श्मशान भूमि पर काबिज अतिक्रमण नही हट सका है। जिसके कारण ग्रामीणों को आज भी बीच मार्ग पर मृतकों का अंतिम संस्कार करने को मजबूर होना पड़ रहा है।

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