भोपाल। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश के प्राथमिक एवं जूनियर हाईस्कूलों के अध्यापकों को राशन कार्ड सत्यापन के काम में लगाने को गलत बताया है। साथ ही कहा कि अध्यापकों को गैर शैक्षिक कार्य में नहीं लगाया जा सकता। उनसे जनगणना, चुनाव ड्यूटी या आपदा के अलावा अन्य गैर शैक्षिक कार्य नहीं लिए जा सकते।
यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति डॉ. डीवाई चंद्रचूड एवं न्यायमूर्ति पीकेएस बघेल की खंडपीठ ने अधिवक्ता सुनीता शर्मा की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है। कोर्ट ने कहा कि मुख्य सचिव के परिपत्र में अध्यापकों को राशन कार्ड सत्यापन में लगाने का उल्लेख नहीं है। जिला पूर्ति अधिकारी इलाहाबाद ने परिपत्र से परे गैर विधिक प्राधिकार के अध्यापकों को राशन कार्ड के सत्यापन में लगाया और उनसे दो फरवरी से 27 फरवरी सत्यापन कार्य कराया। कोर्ट ने सरकार के उस तर्क को सही नहीं माना सिमें कहा गया कि अध्यापकों से सत्यापन का कार्य स्कूल अवधि के बाद खाली समय में लिया गया। इससे शिक्षण कार्य प्रभावित नहीं हुआ। कोर्ट ने कहा कि अध्यापकों से सत्यापन कार्य नहीं लिया जा सकता।
सरकार चाहे तो अपने कर्मचारियों के अलावा संविदा पर कार्य करा सकती है। याची के वकील विजय चंद्र श्रीवास्तव का कहना था कि अध्यापकों को राशन कार्ड सत्यापन में लगाए जाने से संविधान के अनुच्छेद 21ए एवं अनिवार्य शिक्षा कानून 2009 के तहत छह से 14 वर्ष तक के बच्चों के शिक्षा पाने के अधिकार का उल्लंघन होता है। साथ ही अनिवार्य शिक्षा मुहैया कराना राज्य का वैधानिक दायित्व है। ऐसे में अध्यापकों को राशन कार्ड सत्यापन में लगाया जाना अवैधानिक है।