जयप्रकाश रंजन/नई दिल्ली। पिछले तीन महीनों में रेपो रेट में आधा फीसद की कमी के बावजूद ग्राहकों को सस्ता कर्ज नहीं मिलने पर सरकार ने गंभीरता से लिया है। वित्त मंत्रालय ने भारतीय बैंक संघ (आईबीआए) को कहा है कि वह ब्याज दरों में कटौती का फायदा आम ग्राहकों को शीघ्रता से देने की व्यवस्था करे। इस संबंध में ब्याज दर गणना की नई व्यवस्था करने का निर्देश भी बैंकों के संगठन आईबीए को दिया गया है।
पिछले दिनों सरकारी बैंकों के प्रमुखों के साथ बैठक में ब्याज दरों की स्थिति का मामला उठा था। उसमें वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बैंकों को यह साफ तौर पर बता दिया था कि ब्याज दरों में जब गिरावट का रुख बन रहा है तो बैंकों को इसका लाभ आम जनता को देने के लिए जल्द से जल्द कदम उठाने चाहिए।
जनवरी और मार्च में रिजर्व बैंक दो बार रेपो रेट (वह दर जिस पर आरबीआई बैंकों को कम अवधि का कर्ज देता हैं) में चौथाई-चौथाई फीसद की कटौती कर चुका है। लेकिन अभी तक किसी भी बड़े बैंक ने ब्याज दरों को नहीं घटाया है और न वे इसके लिए तैयार दिख रहे हैं। अलबत्ता पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) समेत कुछ बैंकों ने जमा दरों में थोड़ी बहुत कटौती की है। बैंकों ने इस बारे में आरबीआई की रिपोर्ट व सुझावों को भी ताक पर रख दिया गया है।
आईबीए का रवैया नागवार
सूत्रों के मुताबिक ब्याज दरों को कम करने को लेकर आईबीए का सुस्त रवैया भी सरकार को नागवार गुजर रहा है। अप्रैल, 2014 में आरबीआई की तरफ से गठित समिति ने कर्ज की दरों को तय करने पर रिपोर्ट दी थी। रिपोर्ट में साफ तौर पर कहा गया था कि बैंकों के निदेशक बोर्ड इस बात को सुनिश्चित करेंगे कि ग्राहकों के साथ कर्ज की दरों को लेकर कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए।
इसमें फ्लोटिंग रेट की दरों को तय करने के बैंकों के रवैये पर सबसे ज्यादा नाराजगी जताई गई थी। यह सुझाव दिया गया था कि इस बारे में भारतीय बैंक संघ को अलग से नीति व दिशानिर्देश बनाना चाहिए। अब आईबीए को कहा गया है कि वह इस बारे में नया दिशा-निर्देश बनाने में देरी नहीं करे।
बीते दिन आरबीआई के डिप्टी गवर्नर एसएस मुंद्रा ने ब्याज दरों में अभी तक कटौती नहीं किए जाने पर अपनी नाराजगी जाहिर की थी। मुंद्रा ने कहा है कि बहुत ही कम समय के भीतर दो बार ब्याज दरों में कमी के बावजूद बैंक ग्राहकों को इसका फायदा नहीं दे रहे हैं।