तंबाकू उत्पादों के सेवन से कैंसर होता है, इसकी पुष्टि करने के लिए कोई भारतीय अनुसंधान उपलब्ध ही नहीं है। यह कहा है तंबाकू अधिनियम के प्रावधानों पर विचार कर रही एक संसदीय समिति के प्रमुख ने। यह बयान ऐसे समय में आया है जब कई लॉबी के दबावों के चलते तंबाकू उत्पादों पर छापी जाने वाली चेतावनी का आकार बड़ा करने की अपनी 1 अप्रैल की समय सीमा को भारत टालने वाला है।
तंबाकू और अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम, 2003’ के प्रावधानों के परीक्षण के लिए गठित एक संसदीय समिति के प्रमुख दिलीप गांधी ने सोमवार को कहा कि तंबाकू से कैंसर होने संबंधी सभी अध्ययन विदेशों में हुए हैं और किसी को भारतीय परिप्रेक्ष्य को भी ध्यान में रखना चाहिए।
महाराष्ट्र से बीजेपी सांसद गांधी की अगुवाई वाली संसदीय समिति ने सरकार से ‘गंभीर’ मांग की है कि वह तंबाकू के पैकेट पर तस्वीरों में छपी चेतावनी का आकार 40 प्रतिशत से बढ़ाकार 85 प्रतिशत करने का अपना प्रस्ताव रोक ले।
गांधी ने कह, ‘तंबाकू के हानिकारक प्रभावों पर सभी एकमत हैं. यह साबित करने वाला कोई भारतीय अनुसंधान नहीं है कि तंबाकू के सेवन से कैंसर होता है. कैंसर सिर्फ तंबाकू के कारण नहीं होता है. हमें भारतीय परिप्रेक्ष्य का अध्ययन करना होगा, क्योंकि मध्यप्रदेश, आंध्रप्रदेश, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में चार करोड़ लोगों की जीविका तेंदुपत्ता से बीड़ी बनाने से चलती है।’ उन्होंने कहा, समिति ने इन चेतावनियों को उस वक्त तक रोके रखने को कहा है जब तक भारतीय परिप्रेक्ष्य में इसे देख न लिया जाए. यह विदेशी अध्ययनों पर आधारित नहीं होना चाहिए।