विधानसभा में गूंजा पुलिस भर्ती घोटाला

लखनऊ। विधानमण्डल के दोनों सदनों में विपक्षी दलों ने मंगलवार को दरोगा व सिपाही भर्ती में धांधली के मुद्दे को जोरशोर से उठाया। विधान परिषद के सभापति गणेश शंकर पाण्डेय ने राज्य सरकार को पूरे मामले की किसी अधिकारी से जांच कराने के निर्देश दिए हैं।


उधर, विपक्षी दलों ने विधानसभा में खूब हंगामा किया। भर्तियों की सीबीआई और न्यायिक जांच की मांग करते हुए सदस्य वेल में आ गए और धरने पर बैठ गए। इससे विधानसभा की कार्यवाही सुचारु रूप से नहीं चल पायी और हंगामे में ही तमाम महत्वपूर्ण विभागों के बजट पारित हो गए।

विधानसभा की कार्यवाही जैसे ही सुबह 11 बजे शुरू हुई बसपा के स्वामी प्रसाद मौर्या ने पुलिस भर्ती में धांधली व भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया। साथ में भाजपा, कांग्रेस व रालोद के सदस्य नारेबाजी करते हुए वेल में आ गए। उन्होंने भर्तियों में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए और धरने पर बैठ गए। अध्यक्ष माता प्रसाद पाण्डेय द्वारा कार्यस्थगन के तहत चर्चा कराने के आश्वासन पर सदस्य अपने स्थान पर लौटे लेकिन बसपा ने विरोध करते हुए सदन से वाकआउट कर दिया।

शून्यकाल में कार्यस्थगन प्रस्ताव के माध्यम से रालोद के दलवीर सिंह ने मुद्दा उठाया। भाजपा के सतीश महाना ने कहा कि सिपाही और दरोगा भर्ती में अभ्यर्थियों को दौड़ में मनमाने ढंग से नंबर दिए गए हैं। भर्ती पैसे देकर की गई है। भाजपा के सुरेश कुमार खन्ना ने कहा कि भर्ती प्रक्रिया रद्द कर सीबीआई से अथवा न्यायिक जांच कराई जाए। कांग्रेस के अनुग्रह नारायण सिंह ने भी कहा कि सीबीआई से जांच कराई जानी चाहिए। रालोद के दलवीर सिंह ने कहा कि सरकार को चाहिए कि छवि को बचाने के लिए सीबीआई से जांच कराए। इसी पार्टी के वीरपाल राठी ने कहा कि कुछ चुनिंदा जिलों से खास जाति के लोगों की ही भर्तियां हुई हैं। बसपा के स्वामी प्रसाद मौर्या ने भी भर्ती की सीबीआई अथवा न्यायिक जांच कराने और भर्ती करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।

सरकार ने कहा- सही तरीके से हुई भर्तियां
संसदीय कार्य मंत्री आजम खां ने कहा कि भर्तियां पूरी तरह सही से हुई हैं। ईमानदारी और निष्पक्षता से हुई हैं। जातीय आधार पर कटाक्ष करना ठीक नहीं है। जो लोग जातिवाद फैलाते हैं। जिन्होंने समाज का माहौल खराब किया है। वे ही आरोप लगा रहे हैं। जिन्होंने माहौल खराब किया है। उनसे निवेदन करते हैं कि हिन्दुस्तान की बात करें। भाजपा को तो धन्यवाद देना चाहिए कि दिल्ली में बैठे बादशाह नौकरी तो नहीं दे सके। गद्दी जरूर पा गए। हां, सरकार नौकरी जरूर दे रही है। विपक्षी दलों को चाहिए था कि नौजवानों को मुबारकबाद देते।

बहरहाल, अध्यक्ष माता प्रसाद पाण्डेय ने चर्चा की मांग नामंजूर कर दी। इस पर कांग्रेस, बसपा, रालोद और भाजपा ने सदन की कार्यवाही से वाकआउट कर दिया। सदन में करीब 12.23 मिनट पर लौटने के बाद भाजपा, कांग्रेस, रालोद और बसपा ने वेल में धरना दे दिया और चर्चा कराने की मांग करते रहे।

इस पर अध्यक्ष ने पहले पंद्रह मिनट के लिए कार्यवाही स्थगित की फिर दोपहर 2 बजे तक के लिए कार्यवाही को स्थगित कर दिया। दोपहर 2.20 पर जब विधानसभा की कार्यवाही फिर शुरू हुई तो विपक्षी सदस्य फिर हंगामा करते हुए वेल में आ गए। और नारेबाजी करते हुए घटना की सीबीआई जांच की मांग करने लगे। संसदीय कार्यमंत्री ने कहा कि भर्तियां निष्पक्षता से की गई हैं। हंगामा न थमने पर अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही बुधवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी।

विधान परिषद में सत्ता व विपक्ष में हुई जोरदार बहस
पुलिस भर्ती में धांधली के आरोप को लेकर मंगलवार को विधान परिषद में सरकार और विपक्ष के बीच जोरदार बहस हुई। शून्य काल में बसपा ने मेरिट में होने के बावजूद आवेदकों को खारिज कर कुछ खास जिलों के लोगों के चयन का आरोप लगाया। नेता सदन अहमद हसन ने विपक्ष से ऐसे आवेदकों की सूची मांगी जिनका नाम मेरिट में होने के बावजूद चयन नहीं किया गया। नेता प्रतिपक्ष नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने सदन की कार्रवाई रोक कर चर्चा कराने की मांग की। सभापति गणेश शंकर पाण्डेय ने विपक्ष के प्रस्ताव को अस्वीकार करते हुए सरकार को भर्ती मामले की किसी अधिकारी से जांच कराने का निर्देश दिया।

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