राकेश दुबे@प्रतिदिन। महंगी बिजली मोदी सरकार की मुश्किलें और बढ़ने जा रही हैं। इसकी शुरुआत राजस्थान से हुई है, जहां 18 प्रतिशत तक दरें बढ़ चुकी हैं। देश के करीब 14 राज्यों की बिजली वितरण कंपनियों ने बिजली दरों में वृद्धि की मांग की है। यदि राज्यों के बिजली नियामक आयोग कंपनियों की मांग मान लेते हैं तो इन 14 राज्यों में बिजली की दरें 15 से 18 फीसदी तक बढ़ सकती है तो इससे स्टील, पावरलूम, टैक्स्टाइल, प्लास्टिक, ग्लास, स्टोन जैसी छोटी इंडस्ट्री सबसे अधिक प्रभावित होंगी,जिनके लिए बिजली ही प्रमुख कच्चा माल है। बिजली की बढ़ती लागत को देखते हुए ये उद्ध्योग अब कंसल्टेंसी फर्म की भी सेवाएं ले रहे हैं|
रेटिंग एजेंसी इकरा की रिपोर्ट के अनुसार बिहार, हरियाणा, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड जैसे राज्यों की वितरण कंपनियों ने 15 से 26 प्रतिशत तक बिजली दरें बढ़ाने की मांग की है। आंध्र प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र और तेलंगाना की वितरण कंपनियों ने 3 से 8 प्रतिशत वृद्धि की मांग की। हालांकि छत्तीसगढ़, पंजाब और ओडिशा ऐसे राज्य हैं जहां की बिजली कंपनियों ने किसी भी प्रकार की वृद्धि की मांग नहीं की है। इन राज्यों की बिजली कंपनियों ने घाटे की भरपाई के लिए दरों में कितनी बढ़ोत्तरी की जाए। इसका फैसला संबंधित राज्य नियामक आयोग पर छोड़ दिया है।बिजली की बढ़ती डिमांड ने पावर मैनेजमेंट से जुड़ी कंसल्टेंसी कंपनियों को नया बाजार दिया है।
लेखक श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
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rakeshdubeyrsa@gmail.com
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