सुजीत ठाकुर | नई दिल्ली। व्यापमं घोटाले मामले में फंसे मध्यप्रदेश के राज्यपाल रामनरेश यादव गिरफ्तारी से बचने के लिए कानूनी सलाह लेने के लिए पिछले तीन दिनों से दिल्ली में जमे हैं। इस बीच अपना पक्ष राष्ट्रपति के समक्ष रखने के लिए उन्होंने समय मांगा, लेकिन उन्हें समय नहीं मिला है। इस बीच केंद्र सरकार उनकी बर्खास्तगी में लेटलतीफी महज इसलिए कर रही है ताकि इसकी आंच मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री तक पहुंच जाए।
रामनरेश यादव के इस्तीफे की अटकलें पिछले कई दिनों से लगाई जा रही हैं लेकिन उनका इस्तीफा अभी तक नहीं आया है। यादव दिल्ली में ठहरे हुए हैं और उन्होंने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मिलने का समय मांगा, जो उन्हें नहीं मिला। सूत्रों का कहना है कि यादव को परोक्ष रूप से यह बता दिया गया है कि राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी इस पक्ष में नहीं हैं कि जिस राज्यपाल पर एफआईआर दर्ज हो चुकी हो, उनसे मिला जाए।
सूत्रों का कहना है कि पिछले तीन दिनों में यादव ने दिल्ली के कई नामचीन कानूनविदों की सलाह ली है, और वे इस कोशिश में लगे हैं कि उन्हें स्टे मिल जाए, ताकि वे गिरफ्तारी से बच सकें। अगर उन्हें स्टे मिलता है तो वह इस्तीफा दे देंगे। अभी उनके लिए पद पर बने रहना गिरफ्तारी से बचने का अहम हथियार है। केंद्र सरकार फिलहाल यह चाह रही है कि यादव स्वयं से इस्तीफा दे दें। अगर वे ऐसा नहीं करते हैं तो उन्हें बर्खास्त करने की दिशा में सरकार कदम उठाएगी।
सूत्रों का कहना है कि भाजपा ने इस पूरे बर्खास्तगी के मुद्दे को लेकर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से भी बातचीत की है। भाजपा को इस बात की आशंका है कि यदि यादव को सीधे बर्खास्त कर दिया जाता है तो व्यापमं मामले को लेकर शिवराज सिंह चौहान पर सीधा आंच सकती है। हालांकि, शिवराज सिंह चौहान को यह बताया गया है कि उनका मामला यादव से अलग है क्योंकि शिवराज पर सिर्फ आरोप है, जबकि यादव के मामले में एफआईआर दर्ज हो चुकी है। लेकिन, केंद्र सरकार इस मामले में जल्दबाजी कर शिवराज सिंह चौहान के लिए मुश्किल खड़ी करने से परहेज कर रही है।