लखनऊ। उत्तर प्रदेश के साथ ही देश में अपनी जड़ फिर से मजबूत करने की जुगत में लगी कांग्रेस को पार्टी के उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने ही झटका दे दिया है। जमीन अधिग्रहण बिल के बहाने भट्टा पारसौल गांव से दिल्ली के लिए कांग्रेस की इस पदयात्रा में राहुल गांधी ही शामिल नहीं हैं। पहले इसमें राहुल गांधी के आने की संभावना थी, लेकिन ऐन वक्त पर राहुल गांधी ने पार्टी को झटका देते हुए पदयात्रा से दूरी बना ली।
भूमि अधिग्रहण बिल में बदलाव के विरोध में कांग्रेस ने भट्टा-पारसौल गांव से पदयात्रा शुरू कर दी है। कांग्रेसी की इस जनजागरण यात्रा का पहला पड़ाव दनकौर में होगा। इसके बाद यात्रा दिल्ली रवाना होगी। 16 मार्च को दिल्ली में प्रदर्शन होगा। कांग्रेस के पूर्व एलान के साथ आज दिन में भट्टा पारसौल गांव में किसानों ने जुटना शुरू कर दिया। एक बजे के बाद गांव में सैकड़ों की संख्या में जुटे किसानों ने भूमि अधिग्रहण के खिलाफ नारेबाजी करते हुए पदयात्रा शुरू कर दी। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की गैरमौजूदगी में यात्रा की अगुवाई पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश कर रहे हैं। यात्रा में अभी तक जयराम रमेश के अलावा कोई और बड़ा नेता नहीं पहुंचा है।
हालांकि, पदयात्रा में प्रदेश अध्यक्ष निर्मल खत्री व युवक कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष आमरेंद्र सिंह बराल भी शरीके होंगे। राहुल के बारे में कांग्रेस की तरफ से कह दिया गया है कि वे नहीं आएंगे। पदयात्रा में गाजियाबाद, बुलंदशहर व अलीगढ़ के कांग्रेस से जुड़े किसान नेता भी शरीक हुए हैं।
दरअसल, भट्टा पारसौल गांव 2011 में चर्चा में आया था। उस समय प्रदेश में मायावती का सरकार थी। जमीन अधिग्रहण के विरोध में किसान आंदोलन कर रहे थे। इसी दौरान सात मई 2011 को पुलिस और किसानों में खूनी संघर्ष हो गया। इसमें दो किसान और दो पुलिस जवानों की मौत हो गई थी। इसके बाद समूचे प्रदेश में भूचाल आ गया था। राजनीति दलों ने गांव की तरफ कूच करना शुरू कर दिया था।
प्रदेश सरकार ने राजनीतिक दलों के गांव में पहुंचने पर रोक लगा दी थी। 11 मई को अचानक राहुल गांधी मोटर साइकिल पर सवार होकर गांव पहुंच गए। दिनभर गांव में राहुल जमे रहे थे। इसके बाद उन्होंने भट्टा पारसौल से अलीगढ़ तक पदयात्रा कर जमीन अधिग्रहण के खिलाफ माहौल तैयार किया। राहुल गांधी के प्रयासों के बाद तत्कालीन कांग्रेस की मनमोहन सिंह सरकार अंग्रेजों के जमाने के कानून में बदलाव के लिए तैयार हुई थी। नरेंद्र मोदी सरकार ने इसमें अब बदलाव कर दिया है। कांग्रेसी इसी मुद्दे के सहारे देश में फिर से अपनी कोई हुई सियासत को पाना चाहती है। इसके लिए वह भट्टा पारसौल से जमीन तलाश रही थी, लेकिन यात्रा शुरू होने से पहले राहुल गांधी ने पार्टी पदयात्रा से दूरी बनाकर पार्टी की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है।