भोपाल। यह दुनिया का सबसे बड़ा रिकार्ड होगा कि एक प्रदेश जिसका हर सक्षम व सक्रिय नागरिक राजनीति करेगा। डाटाबेस बहुत बड़ा है परंतु मोटा मोटा समझा दें तो भाजपा और कांग्रेस की सदस्यता टारगेट पूरे होने के बाद इस प्रदेश में कोई भी व्यक्ति आम नागरिक नहीं बचेगा। वो या तो भाजपा का सदस्य होगा या फिर कांग्रेस का और यदि यह दोनों नहीं हुआ तो वो या तो निर्धन सीमा के नीचे वाला होगा या फिर नाबालिग।
भाजपा मध्यप्रदेश में 1 करोड़ सदस्य बनाने जा रही है और कांग्रेस ने 50 लाख का टारगेट सेट किया है। दोनों को जोड़ दें तो कुल डेढ़ करोड़ नागरिक राजनीति में शामिल हो जाएंगे। जबकि मध्यप्रदेश की कुल आबादी 7 करोड़ है।
- इसे कुछ इस तरह से समझिए
- मध्यप्रदेश की कुल आबादी 7 करोड़
- गरीबी रेखा के नीचे आबादी 44.3% = लगभग 3 करोड़
- शेष बचे 4 करोड़
- नाबालिगों एवं 60 साल से अधिक आयुवर्ग की संख्या 2.5 करोड़ से ज्यादा
- शेष बचे लगभग डेढ़ करोड
- भाजपा के सदस्यों की संख्या 1 करोड़
- कांग्रेस के सदस्य 50 लाख
आप भी बताइए, कौन ऐसा है जो किसी पॉलिटिकल पार्टी का सदस्य ना हो।
यहां आप यह नहीं कह सकते है कि निर्धन/नाबालिग या 60 साल से अधिक आयु वाले भी सदस्यता ले रहे हैं, क्योंकि :-
नाबालिग तो सदस्य हो ही नहीं सकते।
निर्धन 2 वक्त की रोटी के लिए तरसता रहता है, राजनीति के लिए वक्त ही कहां।
60 साल से अधिक आयुवर्ग अब राजनीति के मूड में नहीं। अण्णा हजारे एक ही हो सकते हैं, हर मोहल्ले में एक दर्जन नहीं।
बड़ा सवाल
अब सवाल यह है कि मध्यप्रदेश में रहने वाले लगभग 15 लाख कर्मचारी कहां हैं जो किसी राजनैतिक दल के सदस्य हो ही नहीं सकते। इसके अलावा कुछ ऐसे नागरिक भी हैं जो राजनीति में जाना पसंद नहीं करते, हम ऐसे लोगों की संख्या 25 लाख तो मान ही सकते हैं, लेकिन राजनैतिक दलों के दावों में ये 25 लाख भी गायब हैं। सोचने वाली बात यह भी है कि वो जो खुद को सपा, बसपा और दूसरे दलों का सदस्य बताते हैं, क्या भाजपा या कांग्रेस ज्वाइन कर रहे हैं।
सवाल यह है कि कहीं यह सदस्यता घोटाला तो नहीं।