भोपाल। अब जब भारत के पार्षद से लेकर प्रधानमंत्री तक सारे सारे व्हीआईपी अपनी ब्रांडिंग करने में लगे हुए हैं तो कलेक्टर क्यों पीछे रह जाएं। उन्हें भी तो खुद को लोकप्रिय साबित करना है, भले ही अतीत कितना भी दागदार क्यों ना रहा हो।
हम बात कर रहे हैं आईएएस अधिकारी एवं बैतूल कलेक्टर श्री ज्ञानेश्वर बी पाटिल की। आज लोकल अखबारों में एक खबर छपी है, आप भी पढ़िए :-
नाला पार कर ओला प्रभावित खेतों में पहुंचे कलेक्टर
बैतूल| कलेक्टर श्री ज्ञानेश्वर बी पाटिल बुधवार को भैंसदेही ब्लाक के नाहरढाना गांव में जब ओला प्रभावित खेतों का निरीक्षण करने पहुंचे तब वहां कुछ ओला प्रभावित किसानों ने उनके खेत देखने की कलेक्टर से गुजारिश की। कलेक्टर जब पैदल उनके खेत पर जाने के लिए तैयार हुए तो बीच में बहता हुआ नाला निकलने में समस्या बना, लेकिन कलेक्टर ने इस समस्या को नजरअंदाज करते हुए नाले के बीच में पत्थर डलवाए और उन पर पांव रखकर नाला पार किया और किसानों के खेतों में पहुंचे।
खबर पढ़कर ऐसा लगता है मानो कमर कमर पानी रहा होगा, पार करना नामुमकिन होगा। ठीक वैसे ही जैसे लंका जाते समय राम को मुश्किल आ गई थी। वहां भगवान राम ने समुद्र में पत्थर डलवाए, यहां कलेक्टर साहब ने नाले में डलवाए, लेकिन फोटो तो कुछ और ही बयां कर रहा है। इस नाले को तो अपने गांव का नादान 5वीं पास भी पार कर जाता है।
सवाल यह नहीं है कि मीडिया का मैनेज करके खुद को हीरो प्राजेक्ट किया जा रहा है, सवाल यह है कि बिना मुआवजे किसानों को राहतभरी बातें की जा रहीं हैं। अब बेचारा किसान क्या करे, क्या बयानों को जमा करा दे किस्तों की जगह।
नेताओं की बात समझ में आती है, वो तो झूठ से ही पैदा होते हैं लेकिन यदि प्रशासनिक अधिकारी भी इसी तरह के स्वांग करने लग जाएं तो राहत की उम्मीद किससे करें। आप कह सकते हैं कि मीडिया बिकाउ है, लेकिन सवाल यह है कि कलेक्टर क्यों खरीद रहे हैं जबकि उन्हें तो चुनाव भी नहीं लड़ना।