भोपाल। मप्र में प्रस्तावित 'तंग करने वाली मुकदमेबाजी विधेयक 2015' के विरोध में अंतत: कांग्रेस भी उतर ही आई, लेकिन तब जब जबलपुर में वकीलों ने इसका खुला विरोध कर डाला और पूरे मप्र के वकील एकजुट हो गए। याद दिला दें कि इस मामले में सबसे पहली आपत्ति भोपाल समाचार ने 15 फरवरी 2015 को उठाई थी।
इस संदर्भ में आज जारी एक प्रेस बयान में प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता जे.पी. धनोपिया ने कहा है कि प्रदेश में भ्रष्टाचार एवं आपराधिक प्रवृत्तियां चरम सीमा पर हैं और उन पर अंकुश लगाने की बजाय प्रदेश की भाजपा सरकार विधेयक ला रही है कि मुख्यमंत्री एवं मंत्रियों तथा शासकीय बड़े अधिकारियों के विरूद्व कोई प्रकरण बिना अनुमति के दायर नहीं हो सकेगा, उसमें महाधिवक्ता की राय महत्वपूर्ण होगी। इस तरह का विधेयक तुगलकी फरमान होगा एवं आम व्यक्ति को संविधान में प्रदत्त मौलिक अधिकारों पर कुठाराघात होगा।
श्री धनोपिया ने बयान जारी करते हुए कहा कि केंद्र सरकार द्वारा पूर्व में पारित विह्सिल ब्लोअर अधिनियम के प्रावधानों में हर उस व्यक्ति को सुरक्षा एवं संरक्षण देना होता है, जिन पर अत्याचार होने के बाद उन्होंने आवाज उठाई है। तब मध्यप्रदेश में आम जनता की आवाज को रोकने का जो प्रयास किया जा रहा है, वह सरासर दुर्भाग्यपूर्ण एवं अनुचित है, क्योंकि कोई व्यक्ति चाहे मुख्यमंत्री हो या मंत्री वह कानून से ऊपर नहीं है तथा महाधिवक्ता भी कोई निष्पक्ष व्यक्ति नहीं होता, वह तो प्रदेश सरकार का वकील मात्र होता है। इसलिए कानूनी रूप से उसकी राय से आम जनता को उसका हक प्राप्त करने से नहीं रोका जाये।
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता श्री धनोपिया ने मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान से कहा है कि प्रदेश में कानून व्यवस्था को दुरूस्त करने के साथ ही साथ बढ़ते हुए भ्रष्टाचार को रोकने के संबंध में कोई ठोस कदम उठायें, ताकि पीड़ित व्यक्ति को न्याय प्राप्त करने से रोकने की प्रक्रिया को लागू न करें, अन्यथा कांग्रेस पार्टी इसका विरोध करेगी एवं सक्षम न्यायालय में इस अधिनियम को शून्य किये जाने हेतु परिवाद दायर करेगी।
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