जयप्रकाश रंजन/नई दिल्ली। बीमा में विदेशी निवेश की सीमा बढ़ने का जश्न सरकार के साथ बीमा कंपनियां भी मना रही हैं, लेकिन ग्राहकों के लिए एक बुरी खबर इंतजार कर रही है। अगले महीने से शुरू हो रहे नए वित्त वर्ष में मोटर व हेल्थ बीमा के प्रीमियम में भारी इजाफा होने के आसार हैं। वैसे इस वृद्धि का बीमा क्षेत्र में एफडीआइ सीमा बढ़ने से कोई लेना देना नहीं है। यह बढ़ोतरी पूरी तरह से घरेलू वजहों से हो रही है।
देश में मोटर बीमा की स्थिति पर बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (इरडा) ने नई रिपोर्ट और आने वाले वित्त वर्ष में प्रीमियम की स्थिति पर रिपोर्ट तैयार की है। इसमें कहा गया है कि पिछले दो वर्षो के दौरान मोटर बीमा पॉलिसी करने वाली कंपनियों की तरफ से देय मुआवजे में 12 फीसद की बढ़ोतरी हुई है।
छोटी कारों पर बड़ा बोझ
खास तौर पर थर्ड पार्टी मुआवजे के बढ़ते बोझ को देखते हुए इरडा ने कारों के प्रीमियम में 15 से 100 फीसद तक की वृद्धि करने का प्रस्ताव रखा है। सबसे ज्यादा छोटी कारों (1000 सीसी से कम क्षमता) के लिए प्रीमियम की राशि में 107 फीसद की बढ़ोतरी का प्रस्ताव किया गया है। जबकि दोपहिया वाहनों पर बीमा प्रीमियम में 14 से 32 फीसद वृद्धि का प्रस्ताव है।
इरडा करेगा अंतिम फैसला
इस प्रस्ताव पर सभी कंपनियों के सुझाव सुनने के बाद प्रीमियम वृद्धि पर अंतिम फैसला होगा, लेकिन पिछले अनुभव बताते हैं कि इरडा जो प्रस्ताव करता है उसमें ज्यादा बदलाव नहीं होता। नियामक ने वर्ष 2007-08 से लेकर 2013-14 के बीच मोटर बीमा की स्थिति का आकलन करने के बाद नए प्रीमियम की दर तय करने का सुझाव दिया है।
कर्मचारियों पर भी पड़ेगा भार
इसी तरह से हेल्थ बीमा के महंगा होने की जमीन भी इरडा ने तैयार कर दी है। खास तौर पर कंपनियों की तरफ से अपने कर्मचारियों के लिए खरीदी जाने वाली समूह हेल्थ बीमा के प्रीमियम में बढ़ोतरी होनी तय है। दरअसल, बीमा कंपनियां कॉरपोरेट सेक्टर के बीच पैठ बनाने के लिए ही इन्हें समूह हेल्थ बीमा में भारी डिस्काउंट दे रही थीं। इसकी शिकायत जब इरडा तक पहुंची तो उसने बीमा कंपनियों को चेतावनी दे डाली है कि वे पॉलिसी बेचने के लिए इस तरह का रवैया नहीं अपनाएं। इसके बाद बीमा कंपनियों की तरफ से मिलने वाले डिस्काउंट बंद होने की तैयारी है। जाहिर है कि प्रीमियम वृद्धि का बोझ अंतत: कर्मचारियों पर भी डाला जाएगा।