उपदेश अवस्थी @लावारिस शहर। राहुल गांधी लापता, गुमशुदा की तलाश, पप्पू अपनी मम्मी से रूठ गया और ना जाने कितनी फब्तियां कसीं जा रहीं हैं। गैर कांग्रेसी लोग मजाक बना रहे हैं और कांग्रेसी हमेशा की तरह बगलें झांक रहे हैं, और कर भी क्या सकते हैं। अध्ययन हो तो विचार करें, विचार हो तो जवाब दें। सत्ता की लत पड़ चुकी है। वो कांग्रेस बची ही कहां जिसकी जड़ें जमीन के गहरे तक हुआ करतीं थीं। मुरझाई नहीं है, सूख गई है। वो तो शुक्र मनाइए मीडिया का जो थामे हुए है, नहीं तो हवा का हल्का सा झोंका भी जमींदोज कर देगा, लेकिन विषय इतना हल्का भी नहीं है कि चुटकुले में उड़ा दिया जाए और गैर कांग्रेसियों के लिए इतना गंभीर भी नहीं कि तूफान खड़ा कर दें।
वो शोर क्यों मचा रहे हैं
वो शोर मचा रहे हैं.... इसलिए नहीं कि शोर मचाना उनकी आदत है, बल्कि इसलिए क्योंकि उनके पास थिंकटेंक हैं, टेंक नहीं है टेंकों का जखीरा है और थिंकटेंक ने इशारा किया है कि यदि इस वक्त कांग्रेस को उसके हाल पर छोड़ दिया तो फिर से जी उठेगी, उसे उठने मत दो, कुचल डालो, पूरी तरह से बर्बाद कर दो, नामोनिशान मिटा दो। सिर्फ कांग्रेस ही नहीं, बाकी सारे दलों का भी ऐसा ही हश्र करो, भारत को चीन बना दो, एक देश-एक पार्टी। मौका मिलते ही संविधान बदल डालो। पूरी योजना के तहत वो हंगामा मचा रहे हैं। मखौल उड़ा रहे हैं। ताकि निराशा छा जाए। बर्बादी आ जाए।
राहुल क्यों गायब हैं
सवाल यह उठता है कि आखिर राहुल क्यों गायब हैं। इससे पहले सवाल यह उठता है लोकसभा चुनाव 2009 में जिस राहुल गांधी में पूरे देश को अपना भविष्य दिखता था, अचानक उसे नकार क्यों दिया गया, ऐसी क्या खता कर दी थी उसने जो उसे ये सजा दी गई और सबसे पहले सवाल यह उठता है कि क्या महज फेसबुक पर किसी के 'पप्पू' लिख देने से पूरा का पूरा वोटबैंक बदल गया। नहीं ये सबकुछ नहीं है। बात कुछ और ही है। कांग्रेस एक मकड़जाल में फंसी हुई है। सोनिया गांधी भी इसी जाल में फंसीं हैं। उन्हें लगता है कि यही जाल उनकी सुरक्षा कर रहा है परंतु सच यह है कि इसी जाल ने पूरी की पूरी कांग्रेस बर्बाद कर डाली।
राहुल इस रहस्य को जान गए और उन्होंने जाल को तोड़ने के प्रयास कर दिए, मकड़ों को यह कतई गंवारा नहीं था। अगले 5 साल रहे ना रहे, लेकिन जाल जरूर रहना चाहिए, ये मकड़ों के अस्तित्व का सवाल है। राहुल इस जाल के खिलाफ लड़ रहे हैं, कांग्रेस को जाल से आजाद कराने के लिए। मकड़े उन्हें सपोर्ट नहीं करेंगे, नागपुर में उनके ऐजेंट मौजूद हैं। उनके हितों की रक्षा होती रहेगी, लेकिन क्या खुद को राहुल बिग्रेड का सिपाही कहने वाले भी राहुल को लावारिस छोड़ देंगे।
राहुल की ताकत को पहचानो
पिछले जितने भी दिनों से राहुल अज्ञातवास पर हैं, लगातार उनकी चर्चा हो रही है। हर टीवी चैनल पर डिस्कशन पैनल जमे हुए हैं। यहां वहां की बातें कर रहे हैं। निष्कर्ष निकालने के प्रयास किए जा रहे हैं। रिकार्ड उठाकर देख लीजिए, जब से राहुल अज्ञातवास पर गए हैं, मोदी के बराबर और कई बार मोदी से ज्यादा TRP बटोर रहे हैं। यह उनकी ताकत का प्रमाण है। यह एक पॉजिटिव टर्न है। कांग्रेस के सिपाहियों को राहुल के इस अभियान में शामिल होना चाहिए, बात पार्टी फोरम से बाहर आ गई है और यदि पार्टी को बचाने के लिए नियमों का उल्लंघन करना पड़े तो करना चाहिए। राहुल की ताकत को पहचानने का वक्त आ गया है। उसे स्वीकारने का वक्त आ गया है। शायद ऐसे ही किसी वक्त के लिए ये पंक्तियां लिखी गईं है :—
इतना भी गुमान न कर अपनी जीत पर"ऐ बेखबर"
तेरी जीत से ज्यादा तो मेरी हार के चर्चे है ||
मेरा आग्रह: मैं व्यक्तिगत रूप से स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि मैं कांग्रेस का सदस्य नहीं हूं, कांग्रेस का साथी भी नहीं। जब तक कांग्रेस सत्ता में रही आलोचक ही रहा। मैं तो केवल लोकतंत्र का हिमायती हूं। लोकतंत्र को ताकतवर बनाए रखने के लिए जरूरी है कि दोनों पलड़े बराबर हों। कहीं संतुलन बिगड़ ना जाए। पूरी मीडिया यही प्रयास कर रही है। ताकि लोकतंत्र बचा रहे। सवाल उठाने वाले कहीं खो ना जाएं। इसलिए कृपया केवल विषय से संबंधित टिप्पणी ही करें। समर्थन या विरोध दोनों शिरोधार्य हैं।
उपदेश अवस्थी
9425137664