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कैसे रोकेंगे मोदी महंगाई

राकेश दुबे@प्रतिदिन। सवाल मन की बात कहने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र भाई मोदी से है कि महंगाई कम हो रही है, तो रोजमर्रा के जीवन में क्यों नहीं दिखाई दे रहा? यह सच है कि महंगाई के आंकड़े लगातार नीचे आ रहे हैं और इसके मद्देनजर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने दो बार ब्याज दरें भी घटाई हैं। दूसरी तरफ, यह भी सच है कि पेट्रोल, डीजल के अलावा किसी भी मद में आम आदमी का खर्च कुछ खास नहीं घटा है।

पिछले साल भर में सब्जियों के दाम तेजी से नहीं बढ़े, लेकिन पिछले दिनों उनमें काफी तेज बढ़ोतरी देखने में आई है। इस बात की भी आशंका है कि खाने-पीने की चीजों के दाम फिर तेजी से बढ़ सकते हैं, क्योंकि पिछले दिनों की बेमौसम बारिश और ओलों की बौछार ने खेती को काफी नुकसान पहुंचाया है। कृषि मंत्रालय ने इस साल कृषि उपज के अपने आकलन में पिछले साल के मुकाबले 3.2 प्रतिशत की कमी दर्शाई है। पिछले साल कृषि उत्पादन २६.५५ करोड़ टन था, जो इस साल 25,7 करोड टन रहने का अनुमान है। दालों के उत्पादन में छह से आठ प्रतिशत की कमी होने का अनुमान है।

अगर इन वजहों से महंगाई बढ़ती है तो आम आदमी और सरकार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। खास तौर पर जो मौसमी उत्पाद हैं, उनके दामों में तेजी से बढ़ोतरी हो सकती है। पिछले कुछ सालों में आलू, प्याज और टमाटर जैसी सब्जियों के दाम बहुत तेजी से ऊपर-नीचे होते रहे हैं। और दामों का बढ़ना उत्पादन में कमी के अनुपात में नहीं होता, बल्कि उससे कहीं ज्यादा होता है। इसकी वजह वितरण की समस्याओं से जुड़ी है। दूसरी बड़ी समस्या यह है कि थोक मूल्य सूचकांक और खुदरा मूल्य सूचकांक के बीच बहुत बड़ा फर्क है। थोक मूल्य सूचकांक काफी तेजी से नीचे आया है। 

फरवरी में थोक मूल्य सूचकांक में 2.06 प्रतिशत की कमी आई है, इसके पहले जनवरी में यह 0.39 प्रतिशत गिरा था। मुद्दा यह है कि इसका असर आम उपभोक्ता पर कम पड़ता है, उसके लिए खुदरा मूल्य सूचकांक ज्यादा महत्वपूर्ण है। खुदरा मूल्य सूचकांक में पिछले साल के मुकाबले फरवरी में पांच प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। इसका निष्कर्ष यह निकाला जा सकता है कि जो गैर-कृषि उत्पाद हैं, उनमें उत्पादन की लागत कम हुई है, लेकिन उपभोक्ता के पास वे ज्यादा दामों में आ रहे हैं। इसका सीधा-सीधा अर्थ यह है कि बनाने वाले और बेचने वाले का मुनाफा बढ़ा है। दूसरी ओर, सब्जियों के दाम जनवरी में छह प्रतिशत कम हुए, जो फरवरी में 15 प्रतिशत बढ़ गए।

लेखक श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
संपर्क  9425022703
rakeshdubeyrsa@gmail.com

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