छतरपुर। चुनाव आते ही आचार संहिता का हौआ कुछ इस तरह दिखाया जाता है मानो आपातकाल लग गया हो और लोगों की आजादी पर सेंसरशिप लागू हो गई है। अखबारों में बार बार धमकाया जाता है। कलेक्टर अचानक तानाशाह हो जाते हैं, लेकिन छतरपुर के कलेक्टर को यही तानाशाही भारी पड़ गई।
न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी प्रदीप दुबे की अदालत ने कलेक्टर को 10 हजार रुपए का प्रतिकर देने का आदेश जारी किया है। अपील अवधि के बाद भी यह प्रतिकर नहीं दिए जाने पर कलेक्टर को एक माह के कारावास भुगतना होगा।
एडवोकेट वशिष्ठ नारायण श्रीवास्तव ने बताया कि 4 सितंबर 2013 को दंड प्रक्रिया की धारा 144 के तहत कलेक्टर द्वारा आदेश दिया गया था। इस आदेश के तहत विधानसभा चुनाव 2013 की घोषणा होने के फलस्वरूप स्वतंत्र और शांतिपूर्ण ढंग से अस्त-शस्त्र आदि घातक हथियार और विस्फोटक सामग्री लेकर सार्वजनिक स्थानों पर सभा आदि पर चलाने पर रोक लगाई गई थी।
कलेक्टर के इस आदेश के बाद एक नवंबर 2013 को थाना महाराजपुर को सूचना मिली कि महाराजपुर विधानसभा के विधायक प्रत्याशी मानवेंद्र सिंह के नाम की घोषणा होने पर असंतुष्ट लोगों ने मानवेंद्र सिंह का पुतला आम रोड खंदिया मुहल्ला महाराजपुर में जलाते हुए मुर्दाबाद के नारे लगाए।
इस मामले में छविलाल पटेल, अमित बाजपेयी, संतोष यादव, सौरभ मिश्रा निवासी महाराजपुर, विनोद नायक, महावीर चौरसिया गढ़ीमलहरा और अखिलेश पटेल निवासी पुर के खिलाफ आईपीसी की धारा 188 के तहत कलेक्टर ने परिवाद अदालत में पेश किया था। जेएमएफसी प्रदीप दुबे की अदालत ने मामले की अंतिम सुनवाई करने के बाद 10 मार्च को सभी आरोपियों को बरी कर दिया था।
न्यायाधीश श्री दुबे की अदालत ने पाया था कि कलेक्टर द्वारा सभी आरोपियों द्वारा बिना किसी उचित कारण के निराधार मामला पेश किया है। इससे सभी लोगों को 17 फरवरी 2014 से 5 मार्च 2015 तक अदालत की कार्रवाई का सामना करना पड़ा है। अदालत ने कलेक्टर डॉ. मसूद अख्तर को कारण बताओ नोटिस जारी करके पूछा था कि क्यों न इन बरी हुए सभी आरोपियों को दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 250 (2) के तहत हर्जाना दिलाया जाए। न्यायालय ने कलेक्टर को 12 मार्च को जबाव प्रस्तुत करने का आदेश दिया है।
जवाब प्रस्तुत होने के बाद दिया नया फैसला
इस मामले में कलेक्टर डॉ. अख्तर द्वारा पेश किए गए जवाब में लेख किया गया है कि मैंने कोई परिवाद पत्र प्रस्तुत नहीं किया है। इस जवाब का अवलोकन करने पर मजिस्ट्रेट श्री दुबे ने सोमवार को अपने फैसले में लेख किया कि परिवादी द्वारा प्रस्तुत अभियोग पत्र के कारण सातों आरोपियों को पेशियां करनी पड़ीं। इसलिए अभियोगी जिला दंडाधिकारी या कलेक्टर पर 10 हजार रुपए का प्रतिकर अधिरोपित किया गया।
यह प्रतिकर या कंपनशेसन राशि सातों अभियुक्तों या प्रति प्रार्थीगणों को समान रूप से अपील अवधि के बाद दिया जाए। मजिस्ट्रेट श्री दुबे द्वारा यह भी आदेशित किया गया है कि अपील अवधि के बाद प्रतिकर नहीं दिए जाने पर कलेक्टर को 30 दिनों का साधारण कारावास भुगतना पड़ेगा।