मप्र के सरकारी स्कूलों का पाठ्यक्रम बदलेगा

भोपाल। राज्य के सरकारी स्कूलों में नेशनल काउंसिल फॉर एजूकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (एनसीईआरटी) का पाठ्यक्रम लागू किया जा रहा है। यह बदलाव अगले शैक्षणिक सत्र 2016-17 से होगा। राज्य शासन ने विद्यार्थियों को प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए तैयार करने के मकसद से यह निर्णय लिया है। यह पाठ्यक्रम देश के सीबीएसई स्कूलों में चलाया जाता है।

आने वाले दिनों में सीबीएसई और सरकारी स्कूलों का पाठ्यक्रम समान हो जाएगा। इसलिए दोनों स्कूलों में एक जैसी पढ़ाई होगी। राज्य शासन ने स्कूल शिक्षा विभाग के इस प्रस्ताव को अंतिम स्वीकृति के लिए केंद्र सरकार को भेज दिया है।

विभाग के दोनों मंत्रियों की केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी से इस संबंध में विस्तार से बात हो चुकी है। विभागीय सूत्र बताते हैं कि केंद्रीय मंत्री भी राज्य के तर्कों से सहमत हैं। इसलिए प्रस्ताव पारित होने में दिक्कत नहीं आनी है। उल्लेखनीय है कि प्रदेश के सरकारी हाईस्कूल और हायर सेकंडरी स्कूलों में करीब 40 लाख और पहली से बारहवीं तक 1.50 करोड़ विद्यार्थी हैं।

प्रतियोगी परीक्षाओं की दृष्टि से लिया निर्णय
राज्य शासन ने प्रतियोगी परीक्षाओं को ध्यान में रखकर पाठ्यक्रम बदलने का निर्णय लिया है। इस संबंध में विभाग की राय मांगी गई थी। विभाग का तर्क है कि एनसीईआरटी पाठ्यक्रम के बेस पर प्रतियोगी परीक्षाओं के पेपर बनाए जाते हैं। चूंकि राज्य में एससीईआरटी का पाठ्यक्रम चलता है। इसलिए आईएएस, आईपीएस, आईएफएस जैसी राष्ट्र स्तरीय परीक्षाओं में राज्य के विद्यार्थी अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाते हैं।

हाईस्कूल-हायर सेकंडरी पर फोकस
शासन का फोकस हाईस्कूल और हायर सेकंडरी पर है। इसलिए मुख्य रूप से नौवीं, दसवीं, ग्यारहवीं और बारहवीं कक्षा में पाठ्यक्रम लागू करने की तैयारी है। इसके अलावा केंद्र सरकार पहली कक्षा से ही एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम चलाने की मंजूरी देती है, तो शासन उसके लिए भी तैयार है।

ऐसे बंटेंगी मुफ्त किताबें
नया पाठ्यक्रम लागू होने के बाद भी शासन की मुफ्त में किताबें देने की योजना बंद नहीं होगी। शासन एनसीईआरटी से पठन सामग्री की सॉफ्ट कॉपी लेकर राज्य में ही किताबें छापेगा। किताबों की छपाई पर आने वाला खर्च पहले से ही शासन उठाता है। उल्लेखनीय है कि प्रदेश के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को सरकार मुफ्त में किताब देती है।

प्रशिक्षण देगी ACERT
पाठ्यक्रम निर्धारण और किताबों की छपाई का काम छिनने के बाद भी स्टेट काउंसिल फॉर एजूकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (एससीईआरटी) की उपयोगिता कम नहीं होगी। नया पाठ्यक्रम लागू होने के बाद एससीईआरटी पाठ्यक्रम तो निर्धारित नहीं करेगी, लेकिन सेवाकालीन शिक्षक प्रशिक्षण, नए संविदा शिक्षकों का इंडक्शन प्रोग्राम, ईबीएल, एएलएम गतिविधियों की मॉनीटरिंग और डीएड, बीएड कॉलेजों पर नियंत्रण संस्था का ही होगा।

सरकारी स्कूलों में एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम चलाने की कोशिश कर रहे हैं। प्रस्ताव केंद्र को भेजा है। पाठ्यक्रम अगले शैक्षणिक सत्र से लागू करने की कोशिश है। विद्यार्थियों को मुफ्त की किताबें यहीं छापकर देंगे।
दीपक जोशी, राज्यमंत्री, स्कूल शिक्षा विभाग

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