भोपाल। मप्र में किसी भी प्रकार के अपराध से पीड़ित महिलाओं को प्राइवेट अस्पताल में मु्फ्त इलाज मिलेगा। कोई भी अस्पताल इसके लिए इंकार नहीं कर सकता। यदि वो इंकार करता है तो अस्पताल संचालक एवं मना करने वाले डॉक्टर को 1 साल की जेल हो सकती है। अस्पताल का लाइसेंस भी निरस्त हो सकता है।
मोदी की फटकार के बाद शिवराज सरकार जल्द ही यह नीति बनाने वाली है। मोदी सरकार ने भी फटकार इसलिए लगाई क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने जवाब मांग लिया है। इस नीति के तहत पीड़िताओं को मुआवजा भी दिया जाएगा।
जस्टिस वर्मा कमेटी की सिफारिश पर कानून में हुआ बदलाव
निर्भया केस के बाद सुप्रीम कोर्ट द्वारा जस्टिस जेएस वर्मा कमेटी गठित की थी। कमेटी ने महिलाओं की सुरक्षा के लिए दो महत्वपूर्ण सिफारिश की थीं। जिनमें पीड़ित महिलाओं को सरकारी-निजी अस्पतालों में मुफ्त इलाज दिया जाए।
पीड़ित महिला की पुलिस शिकायत दर्ज न करने पर संबंधित को दो वर्ष की सजा दी जाए। कमेटी की अनुशंसा पर केन्द्र ने आईपीसी की धारा 166-बी इलाज से इंकार करने पर एक साल की सजा और आईपीसी की धारा 166-ए महिला की रिपोर्ट दर्ज न करने पर 2 साल तक की सजा का प्रावधान किया है।
केन्द्र की फटकार के बाद जागी सरकार
दिल्ली में 14 मार्च को हुई बैठक में केन्द्रीय गृह सचिव एलसी गोयल ने मप्र में पीड़ित महिलाओं को राहत देने के संबंध में कानून को लागू न किए जाने पर कड़ी नाराजगी जाहिर की। उन्होंने हिदायत दी कि अपराध पीड़ित लोगों को मुआवजा देने की भी नीति भी तैयार करें।
गृह सचिव ने यह भी साफ किया है कि 10 अप्रैल को इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में पेशी से पहले राज्य सरकार पीड़ित को राहत देने संबंधी योजना बना ले।
कितना मिलेगा मुआवजा
हत्या होने पर - 5 लाख
अज्ञात वाहन से दुर्घटना में मौत पर कमाने वाले को 5 लाख और न कमाने वाले को 3 लाख
बलात्कार पीड़िता को 3 लाख
एसिड पीड़िता को 3 लाख
दहेज या अन्य कारण से आग से जलने वाली पीड़िता को 2 लाख
अज्ञात वाहन से दुर्घटना में 80 फीसदी घायल होने पर कमाने वाले को 3 लाख और न कमाने वाले को 1.5 लाख
कलेक्टर देंगे मुआवजा
विधि विभाग के प्रस्ताव के अनुसार अपराध पीड़ितों को मुआवजा देने के लिए जिलों में सिविल जज की अध्यक्षता में जिला समन्वय समिति गठित की जाएगी। उक्त पीड़ितों को कलेक्टर के माध्यम से मुआवजा दिया जाएगा।
जल्द तैयार होगी नीति
केन्द्र को सुप्रीम कोर्ट में 10 अप्रैल को अपराध पीड़ित मुआवजा और पीड़ित महिलाओं को मुफ्त ईलाज को लेकर जवाब पेश होना है। इस संबंध में मुख्य सचिव को पूरा प्रस्ताव बनाकर भेज दिया गया है। 5 अप्रैल से पहले दोनों योजनाओं की नीति तैयार हो जाएगी।
डीपी गुप्ता, गृह सचिव