भोपाल। शिक्षा के मामले में शिक्षा विभाग अक्सर यूटर्न लेता रहता है। शायद वरिष्ठ अधिकारियों के पास आत्मसम्मान शेष ही नहीं बचा। अब बोर्ड परीक्षाओं की कॉपियां जांचने के मामले में शिक्षा विभाग ने यूटर्न लिया है। प्राईवेट स्कूल टीचर्स से काम लेने के आदेश जारी कर दिए गए हैं।
विभाग के इस आदेश से प्राइवेट स्कूलों के शिक्षकों को जहां राहत मिली है वहीं इंग्लिश मीडियम के छात्रों की कॉपियों का मूल्यांकन भी सही तरीके से होने की संभावना बढ़ गई है। हालांकि विभाग ने केवल उन्हीं प्राइवेट स्कूलों के शिक्षकों को मूल्यांकन की जिम्मेदारी सौंपने का निर्णय लिया है जिसके पास दस साल का अनुभव है। साथ ही शिक्षक जिस स्कूल में पढ़ा रहा है उसकी भी मान्यता व संबद्धता दस साल से कम की नहीं होनी चाहिए।
इस साल माध्यमिक शिक्षा मंडल ने कक्षा दसवीं और बारहवीं की कॉपियों का मूल्यांकन केवल सरकारी स्कूलों के ही शिक्षकों से कराने का फैसला किया था। मूल्यांकन का काम 18 मार्च से शुरू किया गया था। मूल्यांकन शुरू हुए आठ दिन बीतने के बाद विभाग ने अपने फैसले में संशोधन किया है। मंडल से मिली जानकारी के अनुसार दोनों कक्षाओं की परीक्षा में शामिल करीब 20 लाख स्टूडेंट्स की 1 करोड़ 25 लाख से ज्यादा कॉपियों का मूल्यांकन अभी भी होना बाकी है।
मूल्यांकन में देरी की संभावना को देखते हुए स्कूल शिक्षा विभाग ने प्राइवेट स्कूलों को भी मूल्यांकन की जिम्मेदारी दिया जाना तय किया है। हालांकि जो मापदंड तय किए गए हैं उसके अनुसार प्राइवेट स्कूलों के शिक्षकों को तभी मूल्यांकन करने का मौका दिया जा सकेगा जब सरकारी और अनुदान प्राप्त स्कूलों के शिक्षक अनुपलब्ध होंगे।
विभाग के अपर मुख्य सचिव एसआर मोहंती ने इस संबंध में माध्यमिक शिक्षा मंडल को पत्र जारी कर दिया है। इसकी सूचना सभी जिलों के कलेक्टर, लोक शिक्षण संचालनालय, जिला पंचायत के सीईओ और जिला शिक्षा अधिकारी को भी दे दी गई है। उधर, मध्यप्रदेश शिक्षक संघ ने स्कूल शिक्षा विभाग के इस फैसले का स्वागत किया है।
गौरतलब है कि पिछले एक हफ्ते से प्राइवेट स्कूलों के शिक्षक मंडल द्वारा मूल्यांकन से उन्हें अलग रखने के विरोध में लगातार प्रदर्शन कर स्कूल शिक्षा मंत्री से लेकर मंडल सचिव तक से मुलाकात कर रहे थे। इस बीच इस बात को लेकर भी सवाल उठाए गए कि ज्यादातर सरकारी स्कूल हिंदी माध्यम के होने के कारण शिक्षक इंग्लिश मीडियम के स्टूडेंट्स की कापियों के मूल्यांकन के समय न्याय कर पाएंगे या नहीं।