भोपाल/नई दिल्ली। सीबीएसई स्कूलों की मनमानी पर लगाम लगाने के लिए सरकार ने अपना इरादा साफ कर लिया है। नई दिल्ली में नई शिक्षा नीति निर्धारण बैठक में मप्र के शिक्षा मंत्री पारस जैन ने कहा कि राज्य में चल रहे सीबीएसई स्कूलों पर राज्य सरकार का भी सीधा नियंत्रण होना चाहिए। उन्होंने कहा कि पाठ्यक्रम पूरे देश में एक समान होना चाहिए। इसके लिए एनसीईआरटी की किताबों से ही पढ़ाई करवाई जाए।
नई शिक्षा नीति की तैयारी में राज्यों के शिक्षा मंत्रियों और सचिवों की एचआरडी मंत्रालय की बैठक में स्कूली शिक्षा के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा हुई। केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी की अध्यक्षता में हुई बैठक में राज्यों ने जोर दिया कि स्कूलों में आठवीं तक छात्रों को फेल नहीं करने की नीति में बदलाव जरूरी है।
शिक्षा का अधिकार कानून लागू करते हुए यह नियम बनाया था, ताकि छोटे बच्चों पर परीक्षा का अनावश्यक दबाव न बने। मगर माना जा रहा है कि यह नियम लागू होने के बाद से स्कूली शिक्षा के स्तर में काफी गिरावट आई है।
स्तर सुधारने के लिए PPP
शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए मध्यप्रदेश सरकार ने अब प्रदेश के सरकारी स्कूलों को निजी हाथों में देने का मन बनाया है। बैठक में उन्होंने सरकारी स्कूलों को पीपीपी मोड पर चलाने का सुझाव भी दिया। शिक्षा मंत्री ने केंद्र को अपनी नीति के अनुरूप मध्यप्रदेश के लिए एक हजार नए हाईस्कूल स्वीकृत करने का सुझाव भी दिया है।
पाठ्यक्रमों में सुधार का सुझाव
जैन ने शिक्षक प्रशिक्षण को मजबूत करने बीएड एवं डीएड पाठ्यक्रम को और बेहतर बनाने, अनुकंपा नियुक्ति पाने वालों को बीएड एवं डीएड के लिए 3 वर्ष का समय देने और निजी स्कूलों के शिक्षकों को बीएड एवं डीएड करने के लिए और 5 साल का समय देने का सुझाव दिया है। उन्होंने कहा कि अर्ली चाइल्ड केयर एजुकेशन पर ध्यान दिया जाए तथा इस विषय को स्कूल शिक्षा विभाग को हस्तांतरित किया जाए।