ग्वालियर। जिस लोकायुक्त से प्रशासनिक भ्रष्टाचार को खत्म करने की उम्मीद की जाती है उसी लोकायुक्त का एक डीएसपी पद के दुरुपयोग का आरोपी बन गया है। हाईकोर्ट ने लोकायुक्त डीएसपी राजेश शर्मा के खिलाफ जांच के आदेश दिए हैं साथ ही यह भी कहा है कि यह जांच ठीक वैसे ही होनी चाहिए जैसे एक आम नागरिक की होती है। पक्षपात दिखाई नहीं देना चाहिए। यदि दोषी पाया जाए तो कार्रवाई करें।
यह आदेश देते हुए कोर्ट ने कहा कि जनता में ऐसा संदेश न जाए कि पुलिस वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई करने वाला नहीं है। जैसे आम लोगों के खिलाफ कार्रवाई का जाती हैं, वैसे ही इस केस जांच की जाए।
अगर शर्मा ने हाईकोर्ट में अपने ऊपर लगाए झूठे केसों को लेकर याचिका दायर की। याचिका में बताया गया कि उनके बहनोई लोकायुक्त में डीएसपी पद पर कार्यरत हैं। अपने पद का भय दिखाकर झूठे मुकदमे दर्ज करा रहे हैं। गुना, ग्वालियर के पड़ाव थाना, भिण्ड के गोहद थाने में झूठी शिकायत दर्ज कराई थी। जब एफआईआर की जांच की गई तो वह झूठी निकली।
डीएसपी से उन्हें संपत्ति व जान खतरा है। कोर्ट ने उनकी याचिका की सुनवाई करते हुए तीनों जिलों के एसपी को उनके द्वारा दिए गए अभ्यावेदनों की जांच के निर्देश दिए हैं। अगर जांच में लगता है तो संबंधिक के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाए। जांच में ऐसा सुश्चित भी करें कि कोई भेदभाव नहीं किया जा रहा है। आम जनता की जांच करते हैं, वैसे इस केस की भी जांच की जाए।
इंजीनियरिंग कॉलेज के मालिकाना हक को लेकर है लड़ाई
अमर शर्मा के लोकायुक्त डीएसपी राजेश शर्मा बहनोई हैं। दोनों के बीच ग्वालियर इंजीनियरिंग कॉलेज के मालिकाना हक को लेकर झगड़ा चल रहा है। अमर शर्मा को फंसाने के लिए राजेश शर्मा गुना, ग्वालियर व भिण्ड में एफआईआर दर्ज कराई थीं। रिपोर्ट में गाड़ी से एक्सीडेंट करना बताया गया, जब केस की जांच की गई तो वह झूठी निकली।