जबलपुर। अब एलएलबी पास कर लेने वाले खुद को वकील नहीं कह पाएंगे। बार कौंसिल की सदस्यता ले लेने से भी वो वकील नहीं कहलाएंगे, वो वकील तभी कहलाएंगे जब रेग्यूलर प्रेक्टिस करेंगे।
अब लॉ की डिग्री लेकर महज रजिस्ट्रेशन करा लेने भर से वकालत नहीं चल सकेगी। कोर्ट में पैरवी करने वाले ही वकील का तमगा हासिल कर पाएंगे। बार कौंसिल ऑफ इंडिया ने सर्टिफिकेट एंड प्लेस ऑफ प्रैक्टिस (वेरीफिकेशन) एक्ट-2015 लागू कर दिया है। इससे देश के करीब 6 लाख नॉन प्रैक्टिशनर वकीलों की वकालत खतरे में पड़ गई है। इनमें से 30 हजार वकील अकेले मध्यप्रदेश के हैं।
देश के वकीलों की सर्वोच्च संस्था बीसीआई है, जो समय-समय पर नए नियम बनाने के अलावा पुराने नियमों में संशोधन भी करती है। एडवोकेट एक्ट के साथ बीसीआई के प्रावधान भी वकीलों पर लागू होते हैं। बीसीआई ने भारत के राजपत्र में ताजा अधिसूचना के जरिए नियम बदले हैं और सभी स्टेट बार कौंसिल को सर्टिफिकेट एंड प्लेस ऑफ प्रैक्टिस (वेरीफिकेशन) एक्ट-2015 का पालन करने के निर्देश दिए हैं।
पांच साल में रिन्यू कराना होगा लाइसेंस
नए नियम के मुताबिक अब वकीलों को हर 5 साल में अपना वकालत का लाइसेंस रिन्यू कराना होगा। इससे उन वकीलों की मुसीबत बढ़ जाएगी, जो एलएलबी करने के बाद संबंधित राज्य की स्टेट बार कौंसिल में वकील के रूप में रजिस्टर्ड तो हो गए लेकिन कोर्ट-कचहरी में मुकदमों की पैरवी करने नहीं जाते। ऐसे वकीलों को चिन्हित करके उनके नाम नॉन-प्रैक्टिशनर वकीलों की सूची में डाल दिए जाएंगे।
न मतदान कर पाएंगे आौर न सहायता मिलेगी
नए नियम के बाद देश के 16 लाख और मध्य प्रदेश में 80 हजार रजिस्टर्ड वकीलों में से सिर्फ वे ही वकील वोटिंग के अधिकारी होंगे, जो रेगुलर प्रैक्टिस करते हैं।
मतदान के लिए उनका नाम प्रैक्टिशनर वकीलों की सूची में दर्ज होना जरूरी होगा।
नॉन प्रैक्टिशनर वकील बार कौंसिल से मिलने वाले अधिवक्ता कल्याण संबंधी लाभ भी नहीं ले पाएंगे।
अभी इन्हें मृत्यु दावा 2 से ढाई लाख और बीमारी सहायता निधि 1 से सवा लाख रुपए तक की पात्रता है।
इनका कहना है
बीसीआई के निर्देश के बाद एमपी स्टेट बार कौंसिल तीन सदस्यीय प्रशासनिक समिति का गठन करेगी। प्रक्रिया पूरी कर नया नियम लागू कराया जाएगा। जैसे ही नया नियम प्रभावी होगा, मध्यप्रदेश के सभी अधिवक्ता संघों को सूचित कर दिया जाएगा।
-मुकेश मिश्रा, कार्यकारी सचिव एमपी स्टेट बार कौंसिल
एग्जाम क्लियर करना होगा
एलएलबी करने के बाद एमपी स्टेट बार कौंसिल में रजिस्टर्ड वकीलों को दो साल के भीतर ऑल इंडिया बार एग्जाम क्लियर करना होगा। ऐसा न करने पर वे आगे प्रैक्टिस नहीं कर पाएंगे और उनके नाम नॉन-प्रैक्टिशनर वकीलों की सूची में डाल दिए जाएंगे।
शिवेन्द्र उपाध्याय, पूर्व चेयरमैन स्टेट बार कौंसिल मध्यप्रदेश