भोपाल। मप्र में दवा माफिया की प्रशासनिक पकड़ देखिए कि ऑडिटर जनरल की आपत्ति के बाद भी दवा की सप्लाई जारी रही और क्रय समिति के सदस्य जोखिम उठाकर भी खरीदी का आदेश देते रहे।
ऑडिटर जनरल ने वर्ष 2007-08 से 2011-12 तक चार बार हुए ऑडिट के दौरान एजी ने दवा खरीदी में अनियमितता होने की बात कही। इसके बाद भी क्रय समिति के सदस्यों ने एक ही दुकान से दवा खरीदी जारी रखी।
करीब चार साल तक चली लंबी जांच के बाद आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू) ने सोमवार को अस्पताल के पूर्व अधीक्षकों डॉ. नीरज बेदी, डॉ. स्मिता भटनागर, डॉ. सुधा चौरसिया समेत 12 लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत प्रकरण दर्ज किया था।
ईओडब्ल्यू के मुताबिक जांच के दौरान सामने आई एजी की रिपोर्ट को भी एफआईआर का आधार बनाया गया है। जांच में पता चला कि चार बार हुए ऑडिट में एजी की ओर से आपत्ति उठाई गई थी। इसकी जानकारी एजी की ओर से प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा विभाग को भी दी गई थी। विभाग की ओर से आरोपी बताए जा रहे डॉक्टरों से जवाब भी मांगा गया था।
एजी के भी होंगे बयान
ईओडब्ल्यू के मुताबिक इस मामले में तत्कालीन सभी ऑडिटर जनरल के बयान दर्ज किए जाएंगे। पूछा जाएगा कि ऑडिट के दौरान उन्होंने क्या-क्या गड़बड़ियां पकड़ी थीं। इसके अलावा विभाग को भेजी गई रिपोर्ट के लिए भी पत्र लिखा जा रहा है।
ऑडिटर जनरल ने वर्ष 2007-08 से 2011-12 तक चार बार हुए ऑडिट के दौरान एजी ने दवा खरीदी में अनियमितता होने की बात कही। इसके बाद भी क्रय समिति के सदस्यों ने एक ही दुकान से दवा खरीदी जारी रखी।
करीब चार साल तक चली लंबी जांच के बाद आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू) ने सोमवार को अस्पताल के पूर्व अधीक्षकों डॉ. नीरज बेदी, डॉ. स्मिता भटनागर, डॉ. सुधा चौरसिया समेत 12 लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत प्रकरण दर्ज किया था।
ईओडब्ल्यू के मुताबिक जांच के दौरान सामने आई एजी की रिपोर्ट को भी एफआईआर का आधार बनाया गया है। जांच में पता चला कि चार बार हुए ऑडिट में एजी की ओर से आपत्ति उठाई गई थी। इसकी जानकारी एजी की ओर से प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा विभाग को भी दी गई थी। विभाग की ओर से आरोपी बताए जा रहे डॉक्टरों से जवाब भी मांगा गया था।
एजी के भी होंगे बयान
ईओडब्ल्यू के मुताबिक इस मामले में तत्कालीन सभी ऑडिटर जनरल के बयान दर्ज किए जाएंगे। पूछा जाएगा कि ऑडिट के दौरान उन्होंने क्या-क्या गड़बड़ियां पकड़ी थीं। इसके अलावा विभाग को भेजी गई रिपोर्ट के लिए भी पत्र लिखा जा रहा है।