भोपाल। एक जमाने में पूरी दुनिया पर राज करने वाले ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ 2nd के कर्मचारी भी परेशान हैं। वो वेतन बढ़ाने की मांग कर रहे हैं और हड़ताल पर चले गए हैं। ब्रिटेन के इतिहास में यह पहली बार हुआ है और शायद अंग्रेजी राज के इतिहास में भी। इस हड़ताल में साबित कर दिया कि कर्मचारियों का शोषण हर जगह होता है, फिर चाहे वो मध्यप्रदेश की ग्राम पंचायत हो या महारानी एलिजाबेथ का महल।
महारानी के विंडसर महल के कर्मचारियों का कहना है कि उन्हें साल में सिर्फ 14,400 पाउंड ( करीब 13.35 लाख रुपए) वेतन मिलता है। यह ब्रिटेन में जीने के लिए निर्धारित मजदूरी से भी कम है।
विंडसर महल में 200 कर्मचारी हैं। इनमें से 120 पब्लिक एंड कमर्शियल सर्विसेस यूनियन के सदस्य हैं। उनका कहना है कि महल ने एक्स्ट्रा ड्यूटी के लिए एक्स्ट्रा रकम देने का वादा तोड़ा है। कर्मचारियों को अपने काम के अलावा आने वाले पर्यटकों का गाइड बनना पड़ता है। अनुवादक और फर्स्ट एड देने वाले के रूप में काम करना पड़ता है। इस अतिरिक्त काम के बदले उन्हें कुछ नहीं मिलता। यूनियन 31 मार्च और 14 अप्रैल के बीच वोटिंग के जरिए तय करेगी कि उसे क्या इंडस्ट्रियल एक्शन लेना चाहिए। अगर यूनियन ने एक्शन करने का फैसला किया कि कर्मचारी सख्त नियमों के तहत केवल वही काम करेंगे जो उन्हें दिया गया है। वे बिना एक्स्ट्रा रकम कोई और काम नहीं करेंगे।
हर साल 11 लाख सैलानी आते हैं महल देखने
विंडसर महल दुनिया में सबसे बड़ा राजमहल है, जिसमें कोई रहता भी है। हर साल 11 लाख सैलानी इसे देखने आते हैं। उनसे करीब 1.70 करोड़ पाउंड (करीब 157.5 करोड़ रुपए) की आय होती है। यह रकम रॉयल कलेक्शन ट्रस्ट महल और उसके सामान के रखरखाव पर खर्च करता है। महारानी यहां वीकेंड का समय गुजारना पसंद करती हैं। ब्रिटेन के दौरे पर आने वाले विदेशी राष्ट्रप्रमुख भी यहां का दौरा करते हैं।