भोपाल। मप्र राज्य सूचना आयोग ने लोकायुक्त संगठन की विशेष पुलिस स्थापना के लोक सूचना अधिकारी व एसपी, ग्वालियर और प्रथम अपीलीय अधिकारी व आईजी (पूर्व), भोपाल के सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत जानकारी न देने के निर्णय को निरस्त करते हुए अपीलार्थी को वांछित जानकारी मुहैया कराने का उल्लेखनीय आदेश पारित किया है।
आयुक्त आत्मदीप ने मामले में दायर अपील की सुनवाई करते हुए लोकायुक्त विशेष पुलिस स्थापना की यह दलील खारिज कर दी कि आरटीआई एक्ट से छूट प्राप्त होने के कारण वह जानकारी देने को बाध्य नहीं है और अपीलार्थी को चाही गई जानकारी देने से संबंधित निरीक्षक के विरुद्ध विभागीय जांच पर विपरीत असर पड़ सकता है।
आयोग के आदेश में कहा गया है कि अधिनियम की धारा 24 (1) व (4) के अनुसार अधिनियम से छूट प्राप्त होने के बावजूद कोई निकाय भ्रष्टाचार व मानव अधिकारों के अतिक्रमण से संबंधित सूचना देने से इंकार नहीं कर सकता। चूंकि प्रकरण भ्रष्टाचार की शिकायत से संबंधित है, अत: लोक सूचना अधिकारी को आदेशित किया जाता है कि वे 7 दिन में अपीलार्थी को वांछित जानकारी नि:शुल्क प्रदाय कर 7 अप्रैल 2015 तक आयोग के समक्ष सप्रमाण पालन प्रतिवेदन प्रस्तुत करना सुनिश्चित करे।
इस पर लोकायुक्त विशेष पुलिस स्थापना के लोक सूचना अधिकारी व अपीलीय अधिकारी के प्रतिनिधि ने आयोग को आश्वस्त किया कि आयोग के आदेश के पालन में अपीलार्थी को नियत अवधि में जानकारी प्रदाय कर आयोग के समक्ष पालन प्रतिवेदन प्रस्तुत कर दिया जाएगा। इस पर आयुक्त आत्मदीप ने लोक सूचना अधिकारी पर जुर्माना लगाने के लिए जारी कारण बताओ सूचना पत्र निरस्त कर दिया।
यह है मामला
अपीलार्थी संजय दीक्षित ने विशेष पुलिस स्थापना, ग्वालियर के तत्कालीन निरीक्षक अनिल कुमार अग्रवाल के विरुद्ध पद के दुरुपयोग की शिकायत की थी। अपीलार्थी ने आवेदन दि. 7 सितंबर 2012 द्वारा इस शिकायत के संबंध में विशेष पुलिस स्थापना ग्वालियर द्वारा लोकायुक्त/मध्यप्रदेश विशेष पुलिस स्थापना मुख्यालय भोपाल/अन्य कार्यालय को पे्रषित जांच रपट तथा जांच रपट में संलग्न समस्त अभिलेखों की प्रमाणित प्रतियां चाही थी। किन्तु लोक सूचना अधिकारी ने यह लिखकर जानकारी देने से इंकार कर दिया कि सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा दि. 25 अक्टूबर 11 को प्रकाशित अधिसूचना के अनुसार लोकायुक्त की विशेष पुलिस स्थापना पर सूचना का अधिकार अधिनियम के उपबंध लागू नहीं होते।
प्रथम अपीलीय अधिकारी ने अपीलार्थी की सुनवाई किए बिना लोक सूचना अधिकारी के तर्क की पुष्टि करने के साथ इस आधार पर अपील खारिज कर दी कि संबंधित निरीक्षक ने उससे जुड़ी जानकारी देने में असहमति व्यक्त की है और चाही गई जानकारी देने से निरीक्षक के विरुद्ध रीवा संभाग में विचाराधीन विभागीय जांच पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है ।
साफ की विधिक स्थिति
प्रकरण में पारित महत्वपूर्ण निर्णय में आयुक्त आत्मदीप ने उन शासकीय निकायों के संबंध में वैधानिक स्थिति स्पष्ट की है जिन्हें केंद्र/राज्य शासन द्वारा धारा 24 (4) के तहत सूचना के अधिकार अधिनियम के प्रावधानों से विमुक्ति प्रदान की गई है। उन्होंने आदेश में कहा कि इसी धारा 24 की उपधारा (1) व (4) के अनुसार इस विमुक्ति के बावजूद ऐसे निकायों द्वारा भ्रष्टाचार व मानवाधिकारों के अतिक्रमण के अभिकथनों से संबंधित सूचना इस उपधारा के अधीन अपवर्जित नहीं की जाएगी। ऐसी सूचना राज्य सूचना आयोग के अनुमोदन के पश्चात ही दी जाएगी तथा धारा 7 में किसी बात के होते हुए भी, ऐसी सूचना आवेदन प्राप्ति के 45 दिनों के भीतर दी जाएगी। भारत सरकार द्वारा लागू अधिनियम राज्य के कानून पर अभिभावी प्रभाव रखता है।
यह है वस्तुस्थिति
आदेश में कहा गया है कि मप्र शासन द्वारा लोकायुक्त संगठन की विशेष पुलिस स्थापना एवं राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो को अधिनियम से छूट इस कारण प्रदान की गई है कि उनके द्वारा अन्वेषण किए जा रहे आर्थिक अपराधों के मामलों में सूचना देने/शिकायत करने वालों के नाम सूचना के अधिकार अधिनियम के अधीन प्रकट किए जाने से ऐसे लोगों के जीवन या शारीरिक सुरक्षा को खतरा हो सकता है। यह भी कि उक्त संगठनों के अधीन अन्वेषण किए जा रहे अपराधों के मामलों में सूचना के प्रकटन से अपराधियों के अन्वेषण या पकड़े जाने या अभियोजन की प्रक्रिया में अड़चन आएगी।
किन्तु इस प्रकरण में वस्तुस्थिति शासकीय अधिसूचना में उल्लेखित कारकों के विपरीत है। इसमें अपीलार्थी ने आर्थिक अपराध की सूचना देने/शिकायत करने वालों की जानकारी नहीं चाही है बल्कि स्वयं द्वारा की गई भ्रष्टाचार संबंधी शिकायत पर की गई कार्यवाही की जानकारी मांगी है। अत: आर्थिक अपराध की सूचना देने/शिकायत करने वाले की पहचान उजागर होने/उसके जीवन या शारीरिक सुरक्षा को कोई खतरा उत्पन्न होने का कोई प्रश्न ही उद्भूत नहीं होता है। अपीलार्थी ने ऐसे अपराधिक मामले की जानकारी भी नहीं मांगी है जो अन्वेषण के अधीन है। अत: शासकीय अधिसूचना 25 अगस्त 11 में उल्लेखित कारक प्रस्तुत प्रकरण में लागू न होने से चाही गई सूचना इस अधिसूचना की परिधि में नहीं आती है ।
नजीर बनेगा फैसला
आयुक्त आत्मदीप ने आदेश में कहा है कि धारा 8 एवं 24 के अंतर्गत किसी को स्वचलित असीम निषेधाधिकार प्राप्त नहीं है। कानून से छूट के साथ शर्तें लागू हैं। सूचना का अधिकार अधिनियम का उद्देश्य सरकार व सरकारी तंत्र के कामकाज में शुचिता व पारदर्शिता लाने तथा उसे जनता के प्रति जवाबदेह बनाने को बढ़ावा देना है। अपीलार्थी के आवेदन को इसी दृष्टि से देखा जाना चाहिए। अपीलार्थी, जो प्रकरण में शिकायतकर्ता भी है, की शिकायत पर की गई कार्यवाही के दस्तावेज प्रदाय न करने से अपीलार्थी के मानवाधिकार का हनन हुआ है। इस संबंध में अपीलार्थी द्वारा प्रथम अपील में विधिक दृष्टि से समूची स्थिति स्पष्ट किए जाने के बावजूद अपीलीय अधिकारी ने उसे अनदेखा किया जिस पर आयोग अप्रसन्नता व्यक्त करता है।
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