भोपाल समाचार के समाचार मित्र vijay vishwakarma ने बताया है कि VAS के नाम पर मोबाइल सेवा प्रदाता कंपनियां अपने उपभोक्ताओं की जेब काट रहीं हैं। तकनीकी तौर पर उपभोक्ताओं को उल्लू बनाकर 5 रुपए से लेकर 50 रुपए तक काट लिए जाते हैं। उपभोक्ता झटपटाने के अलावा कुछ नहीं कर पाता।
पढ़िए vijay vishwakarma का खुलाखत:-
महोदय,
मोबाईल सेवा प्रदाता कम्पनियों द्वारा VAS के नाम पर उपभोक्ताओं को छला जा रहा है और प्रतिदिन न जाने कितने लाख या करोड रूपए का घोटाला किया जा रहा है. उपभोक्ता की जानकारी के बिना उनके मोबाईल बैलेन्स काट लिया जाता है और सामान्यत: उपभोक्ता इस पर ध्यान नही दे पाते, नतीजन प्रतिदिन लाखो उपभोक्ताओं को छला जा रहा है अगर कोई उपभोक्ता सम्बन्धित कंपनी के कस्टमर केयर पर शिकायत करता है तो यह कहा जाता है कि आपके द्वारा सेवा प्रारंभ कराई गई है. हैरानी की बात है बिना मोबाईल की कोई "की" दबाए अथवा बिना एक्टिवेशन के अपने आप तरह तरह की चीजें चालू कर कंपनी ग्राहकों को बेवकूफ बनाने के साथ ही VAS सेवा चालू करने का दोष उपभोक्ता के सिर मढती हैं. इस बारे में TRAI द्वारा कडे नियम बनाने की जरूरत है साथ ही मोबाईल कंपनियों को ताकीद करने की आवश्यकता है कि वे उपभोक्ता के इनपुट का पूरा रिकार्ड रखे ताकि वे प्रमाणित कर सकें कि उपभोक्ता द्वारा VAS एक्टिवेट कराया गया है साथ ही उपभोक्ता से कम से कम दो बार वेरीफाई कराने के बाद ही कोई VAS सेवा प्रारंभ किया जाना चाहिए.
यूं तो प्रत्येक मोबाईल कंपनी ग्राहकों को छल रही हैं जिनमें रिलांयस जैसी नामी गिरामी कंपनी सबसे आगे है आम जन हैरान हैं कि जिस कंपनी के मालिकों का देशभर में काफी नाम है उनकी कंपनी में एक रूपए से लेकर 10 रूपए तक की चपत प्रतिदिन उपभोक्ताओं को चुपके चुपके लगाई जा रही है जानकार बताते हैं कि केवल बीएसएनएल एवं वोडाफोन में ही इस तरह की कुरीति नही है अन्यथा सभी मोबाईल सेवा प्रदाता कंपनी चुपचाप ग्राहकों की जेब काटने में जुटी हुई हैं.