भोपाल। शिवराज सरकार प्रशासनिक मशीनरी को चाबुक की तरह यूज कर रही है। जब चाहा चला दिया और जब चाहा खूंटी पर टांग दिया। इन दिनों सरकार के जंगजुओं ने भोपाल की एडीएम कोर्ट को खूंटी पर टांगा हुआ है। पॉलिटिकल प्रेशर के चलते एडीएम कोर्ट में मिलावटखोरी के 24 मामले एक साल से पेंडिंग हैं। इनमें ना तो सुनवाई हो रही है और ना ही सजा। जबकि सुप्रीम कोर्ट ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई के आदेश दे चुकी है परंतु अफसरों के सामने संकट यह है कि सुप्रीम कोर्ट की मानें या शिवराज की।
बीते एक साल से ऐसे करीब दो दर्जन मामले एडीएम कोर्ट में लंबित हैं। इन मामलों की अभी सुनवाई भी शुरू नहीं हुई है। इसके अलावा सात मामले ऐसे हैं, जिनमें विवेचना चल रही है। गौरतलब है कि मिलावटखोरों के खिलाफ आखिरी कार्रवाई एक साल पहले हुई थी, जिसमें खाद्य पदार्थ अमानक पाए जाने पर दुकान संचालक के विरुद्घ एक लाख रुपए का जुर्माना लगाया गया था। तब से एक भी मिलावटखोर के विरुद्घ कार्रवाई नहीं की गई है।
पिछले साल 294 नमूने लिए थे
खाद्य सुरक्षा अधिकारियों (एफएसओ) ने वर्ष 2014 में खाद्य पदार्थों के 294 नमूने लिए। जांच के दौरान इनमें से 26 सैंपल अमानक व मिस ब्रांड (ब्रांडेड कंपनी का लेबल लगाकर नकली सामान देना) पाए गए। इन प्रकरणों को एडीएम के समक्ष पेश कर दिया गया था।
जुर्माने और आजीवन कारावास का प्रावधान
खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम 2006 के तहत खाद्य पदार्थ में सामान्य मिलावट व मिस ब्रांड होने पर मामला एडीएम कोर्ट में पेश किया जाता है, जहां जुर्माने का प्रावधान है। अगर मिलावट सेहत के लिए अत्यंत खतरनाक हो, तो उसे असुरक्षित की श्रेणी में रखा जाता है। यह प्रकरण जिला न्यायालय में पंजीबद्घ किए जाते हैं, जिनमें आजीवन कारावास का भी प्रावधान है। जनवरी 2014 से जनवरी 2015 तक जिला न्यायालय में चार मामले दर्ज किए गए हैं, जिन पर सुनवाई जारी है।
- इन पदार्थों में मिली गड़बड़ी पदार्थ- जांच में मिला
- प्रति मसाला पावडर - मिस ब्रांड
- मावा खुला - अमानक
- मावा रोल - असुरक्षित
- पनीर खुला - अमानक
- शान मसाला पापड़- मिस ब्रांड
- एनी टाइम विनेगर - मिस ब्रांड
- स्पेंशर मीट मसाला - मिस ब्रांड
- एमएमएक्स बैकरी काजू कुकीज - मिस ब्रांड
- सोयाबीन ऑयल - अमानक
- बेसन खुला - अमानक
- अमूल फुल केसर होमोजेनाइज्ड टोंड मिल्क - मिस ब्रांड
- स्टरलाइज्ड होमोजेनाइज्ड फ्लेवर्ड टोंड मिल्क - मिस ब्रांड
- एनी टाइम मोटी सेवई - मिस ब्रांड
- योगीराज गुलाब ब्रांड मामरा - मिस ब्रांड
- मोन्सटर कैफिनेटेड बेवरेज - असुरक्षित
- पनीर खुला - अमानक
- अंशी कार्न फलोर - मिस ब्रांड
- सिल्वर कॉइन मैदा - मिस ब्रांड
- ब्रिटानिया न्यूट्रिचॉयस ओट्स - असुरक्षित
- गाय भैंस का मिश्रित दूध खुला - अमानक
- हुक्का नूडल्स - मिस ब्रांड
- सोयाबीन तेल - अमानक
- रजनीगंधा फ्लेवर्ड पान मसाला - असुरक्षित एवं अमानक
- घी (खुला) - अमानक
- फूल कलर - अमानक
- सांची घी (पैक्ड) - अमानक व मिस ब्रांड
(खाद्य सुरक्षा लैब में जांच के लिए भेजे गए नमूने, ये एफएसओ ने शहर के विभिन्न प्रतिष्ठानों से लिए थे)
हम सिर्फ मामला दायर करते हैं
खाद्य सुरक्षा अधिकारियों की जिम्मेदारी सैम्पल लेकर जांच करवाने और फेल होने पर जिला न्यायालय व एडीएम कोर्ट में मामला दायर करने की होती है। सजा या जुर्माना का निर्णय न्यायालय या एडीएम कोर्ट द्वारा किया जाता है।
प्रमोद शुक्ला, ज्वाइंट कंट्रोलर, खाद्य एवं औषधि प्रशासन