भोपाल। रिटायर्ड प्राचार्य की पत्नी को पति के निधन के बाद 17 वर्ष तक पेंशन के लिए भटकना पड़ा। राज्य मानव अधिकार आयोग में शिकायत मिलने के बाद जब पड़ताल की गई, तो पता चला कि प्राचार्य की सेवा पुस्तिका ही लापता हो गई है। आयोग ने इस मामले में प्राचार्य की पत्नी को नियमानुसार पेंशन राशि देने के साथ ही उन्हें हुई मानसिक तकलीफ के लिए 15 हजार रुपए क्षतिपूर्ति राशि देने की अनुशंसा की है।
आयोग के मुताबिक श्रीमती जमीला बेगम पत्नी स्व. डॉ.एमएम खान ने आयोग में शिकायत की थी। जिसमें बताया गया था कि उनके पति शासकीय पीजी कॉलेज शहडोल से 1997 में रिटायर हुए थे। इसके एक वर्ष बाद उनकी मौत हो गई थी। लेकिन उसके बाद से उन्हें पुनरीक्षित पेंशन नहीं मिली।
इसके लिए उन्होंने विभाग को कई बार आवेदन दिए। इसके अतिरिक्त उन्हें 1जनवरी-96 से 31 जनवरी-97 तक की अंतर राशि भी नहीं मिली। इस संबंध में आयोग ने संयुक्त संचालक, कोष लेखा एवं पेंशन, रीवा और पीएस उच्च शिक्षा से जवाब तलब किया था। संयुक्त संचालक रीवा ने अपने प्रतिवेदन में बताया कि मामला काफी पुराना है और संबंधित शासकीय सेवक की सेवा पुस्तिका दफ्तर में नहीं मिल रही है। आयोग में लगातार चली सुनवाई के बाद अंततः श्रीमती खान को छठवें वेतन आयोग के अनुसार पुनरीक्षित पेंशन मिलना शुरू हो गई। आयोग ने इस संबंध में सेवानिवृत लोगों के पेंशन प्रकरण संवेदनशीलता से निपटाने को कहा है।