मप्र में 4 लाख किसान बर्बाद, 2000 करोड़ से ज्यादा की फसल तबाह

भोपाल। मार्च में ओला और बारिश की मार से प्रदेश के 32 जिलों में सवा चार लाख से ज्यादा किसानों की 2123 करोड़ रुपए की फसल प्रभावित हुई। करीब साढ़े तीन लाख हेक्टेयर रकबे में 25 से लेकर 50 फीसदी तक फसल बर्बाद हुई है। प्रभावित गांवों की संख्या भी बढ़कर 5996 पहुंच गई।

ये खुलासा हुआ है 32 जिलों से मंत्रालय पहुंची प्रारंभिक सर्वे रिपोर्ट में। अभी उमरिया व पन्‍ना से रिपोर्ट मिलना शेष है। इन जिलों के कलेक्टरों ने किसानों को राहत देने करीब चार सौ करोड़ रुपए की मांग की है। पांच-छह अप्रैल को सर्वे की फाइनल रिपोर्ट आने के बाद नुकसान का आंकड़ा बढ़ सकता है।

सर्वे के बाद बंटेगी राहत राशि
सर्वे रिपोर्ट के फाइनल होने के बाद राहत आयुक्त कार्यालय जिलों से आई मांगों के मुताबिक राशि का आवंटन करेगा, जो सीधे किसानों के खातों में पहुंचेगी। कलेक्टर इसका प्रमाणपत्र भी देंगे।

जो कर्ज अल्पावधि से मध्यावधि में तब्दील होगा, उसका प्रमाण समितियां देंगी। ये प्रक्रिया एक से डेढ़ महीने में पूरी होगी। इसी सर्वे रिपोर्ट पर राज्य को केंद्र से पैकेज मिलता है तो उसे भी किसानों को खाते में डाल दिया जाएगा।

खाद-बीज की तैयारी में विभाग
सोयाबीन बीज को लेकर पिछले साल की हायतौबा से सबक लेते हुए विभाग ने प्रमाणीकरण संस्था से नीति और सहकारी क्षेत्रों के संस्थाओं के बीजों का प्रमाणीकरण तेज कर दिया है।

प्रमुख सचिव कृषि डॉ.राजेश कुमार राजौरा के अनुसार 1 लाख 22 हजार टन यूरिया और 2 लाख 4 हजार टन डीएपी का भंडारण हो चुका है। खरीफ सीजन के लिए केन्द्र ने 25 लाख 70 हजार टन खाद के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। ये खाद सितंबर तक मिलेगी। सोयाबीन का 14 लाख क्विंटल बीज का अनुमान है।

पिछले साल पांच हजार करोड़ का नुकसान
2012-13 से 14-15 तक सरकार ने किसानों को 3136 करोड़ की सहायता राशि दी। 2012 और 13 में प्राकृतिक आपदा से प्रभावित 18 लाख 54 हजार 858 किसानों को 2579 करोड़ फसल बीमा की राशि दी गई। इसी अवधि में 2 लाख 26 हजार प्रभावित किसानों के सहकारी बैंक लोन को अल्पावधि से मध्यावधि में तब्दील किया।

जिस पर सरकार को बैंकों को 727 करोड़ का अनुदान देना पड़ा। पिछले साल करीब 29 लाख हेक्टेयर में रबी की फसलें प्रभावित हुई थी। सरकार ने 1900 करोड़ रुपए की राहत खजाने से बांटी थी जबकि, केन्द्र सरकार से 5200 करोड़ का राहत पैकेज मांगा गया था। इसके ऐवज में सिर्फ 467 करोड़ रुपए ही मिले थे।

तीन विभागों की संयुक्त टीम जुटाए नुकसान के आंकड़े
ओला और बारिश से हुए नुकसान के सही आकलन के लिए इस बार राजस्व, कृषि और पंचायत विभाग के अमले की संयुक्त टीम ने सर्वे किया। जिन 34 जिलों में ओला या बारिश से फसलें प्रभावित होने की सूचनाएं थी, उनमें उमरिया और पन्‍ना को छोड़कर बाकी जिलों की प्रारंभिक रिपोर्ट आ गई है। पन्‍ना में 30 मार्च को ओले गिरे थे, इसलिए यहां सर्वे जारी है।

सर्वाधिक 1213 गांवों में नुकसान जबलपुर में हुआ है, जबकि सबसे कम असर (तीन गांव) छतरपुर में हुआ है। प्रभावित गांवों में 10 लाख 76 हजार 881 हेक्टेयर में रबी फसलें बोई गई थी। प्रभावित किसानों में छोटे और मझोले की संख्या 2 लाख 81 हजार 891 सामने आई है। इनकी 1 लाख 98 हजार 356 हेक्टेयर की फसल पर ओला-बारिश का असर पड़ा है। जबकि, 1 लाख 19 हजार 692 किसान अन्य श्रेणी यानी पांच एकड़ से अधिक के काश्तकार हैं। इनके 1 लाख 47 हजार 425 हेक्टेयर रकबे के खेतों पर प्रकृति की मार पड़ी है।

पचास फीसदी से ज्यादा नुकसान
1 लाख 58 हजार 153 किसानों की 1 लाख 48 हजार 613 हेक्टेयर में बोई गई गेहूं, चना, सरसों सहित अन्य रबी फसलें प्रभावित हुईं। -भोपाल, सीहोर, रतलाम, मंदसौर, जबलपुर, बालाघाट, भिंड और टीकमगढ़ में इससे कम नुकसान होने से यहां नुकसान का आकलन सौ फीसदी नहीं माना गया।

25 से 50 प्रतिशत नुकसान
2 लाख 58 हजार 397 किसानों की 1 लाख 95 हजार 6 हेक्टेयर में बोई फसल को नुकसान।

कहां-कितना नुकसान
सर्वाधिक 825 करोड़ 40 लाख की क्षति जबलपुर में, जबकि, भोपाल 1 करोड़, उज्जैन 3.97 करोड़, नीमच 108 करोड़, छिंदवाड़ा 120 करोड़,सिवनी 157 करोड़, ग्वालियर 200 करोड़, गुना 100 करोड़, शिवपुरी 119 करोड़ और श्योपुर में 105 करोड़ की फसल का अनुमानित नुकसान।

सीएम ने ये की थी घोषणा
जिन किसानों की फसल क्षति पचास फीसदी से ज्यादा होगी, उन्हें सौ प्रतिशत नुकसान मानकर मुआवजा या राहत दी जाएगी। ऐसे किसानों का ही सहकारी बैंकों के कर्ज की वसूली स्थगित होगी और बिजली बिल व ब्याज माफ होगा।

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