नई दिल्ली। कोई भी बैंक किसी एम्प्लॉयर के कहने पर किसी कर्मचारी के खाते पर रोक नहीं लगा सकता और उनके बीच विवाद में जज की भूमिका नहीं निभा सकता है। एक कंज्यूमर फोरम ने यह बात कही है।
फोरम ने ऐसे ही एक मामले में आईडीबीआई बैंक को इस तरह की कोताही बरतने के लिये दोषी माना है। नई दिल्ली स्थित इस फोरम ने आईडीबीआई बैंक से कहा कि वह दिल्ली निवासी ओम प्रकाश शर्मा को 20,000 रुपए का भुगतान करे।
मंच ने कहा कि बैंक ने 23 से 27 दिसंबर 2010 की अवधि में एम्प्लॉयर के कहने पर बिना शर्मा को बताए उनके खाते पर रोक लगा दी थी।
फोरम ने कहा, 'हमारा मानना है कि बैंक किसी कर्मचारी और उसके एम्प्लॉयर के बीच विवाद में जज की भूमिका नहीं निभा सकता है और नियोक्ता के कहने पर कर्मचारी के बैंक खाते पर रोक नहीं लगा सकता है। इस तरह का अधिकार अदालत या पुलिस को है जो कि जांच के बाद यह कदम उठा सकते हैं।'' फोरम ने कहा कि बैंक ने खाते पर रोक लगा कर लापरवाही बरती है।