अब प्राइवेट पार्टनशिपिंग में चलेगी मप्र सरकार, व्यापारी वसूलेंगे टैक्स

भोपाल। मप्र का ढांचा बदलने वाला है। अब मप्र का विकास सरकार नहीं बल्कि करोड़पति कारोबारी करेंगे और उनके विकास का यदि आपने उपयोग किया तो वो आपसे सीधे टैक्स वसूलेंगे, सरकार विकास नहीं कराएगी। आपसे वसूले गए टैक्स से कर्जा चुकाएगी और मुख्यमंत्री सिर्फ भाषण दिया करेंगे।

यह बहुत गंभीर विषय है परंतु यह भी तय है कि फिलहाल इसे गंभीरता से नहीं लिया जाएगा। मप्र सरकार लगभग 40 हजार करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट पब्लिक प्राईवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मोड पर लाने जा रही है। आने वाले सालों में यह रकम तेजी से बढ़ेगी, पूरे प्रदेश में तेजी से विकास होता हुआ दिखाई देगा। चमकदार सड़कें और वो तमाम सुविधाएं जिनकी आशाएं आम नागरिक सरकार से लगाता है परंतु इसके बदले उसे भारी कीमत भी चुकानी होगी। उसे हर सुविधा का उपयोग करने के बदले एक मूल्य चुकाना होगा। आप पूछेंगे कि टैक्स भी तो चुका रहे हैं। एक रुपए की माचिस से लेकर लाखों रुपए के मकान तक, हर चीज पर टैक्स चुका रहे हैं, फिर नया शुल्क क्यों ? तब पता चलेगा कि आपके टैक्स से तो सरकार पिछला कर्जा चुका रही है। पूरे 1 लाख करोड़ का कर्जा।

यह होगा फायदा
सरकार का मानना है कि पैसों के अभाव में विभिन्न् क्षेत्रों में एक साथ विकास किया जाना संभव नहीं है। ऐसी स्थिति में निजी निवेशकों को किश्तों में पैसा देकर इन कामों को पीपीपी मोड पर कराया जा सकता है। इससे सरकार के खजाने पर हजारों करोड़ का बोझ आए बगैर हर क्षेत्र में तेजी से विकास किया जाना संभव होगा।
निजी कंपनियों के बड़े-बड़े प्रोजेक्टस में उतरने से प्रदेश के स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर तो मिलेंगे।

भोपाल
पुतलीघर बस स्टैंड 18 करोड़, सॉलेड वेस्ट मैनेजमेंट आदमपुर छावनी 323 करोड़, पुल बोगदा पर कमर्शियल कॉम्पलेक्स 23.36 करोड़ के प्रोजेक्ट शामिल हैं। वहीं नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी की बिल्डिंग 45 करोड़ में बनेगी।

इंदौर
नर्मदा-क्षिप्रा लिंक से इंदौर, देवास और उज्जैन के कई गांवों में घर-घर नल से पानी पहुंचाने के लिए 660 करोड़ का प्रोजेक्ट। इसी तरह धार के ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल के लिए 130, खरगोन के ग्रामीण क्षेत्रों के लिए 70 करोड़ के प्रोजेक्ट पर काम शुरू होगा।

ओएमटी पर दी यह सड़कें
राज्य सरकार ने 12 सड़कें बनाकर निजी निवेशकों को दस साल के लिए आपरेशन मेंटनेंस एंड ट्रांसफर (ओएमटी) पर देने जा रही है। इस प्रावधान के तहत निवेशक इन सड़कों पर टोल वसूली कर रोड़ का मेंटनेंस करेगा, इसके एवज में सरकार को हर वर्ष अनुबंध के मुताबिक लाभांश की राशि भी देगा।

अवधि समाप्त होने के बाद वह सरकार को उसी हालत में सड़क देगा, जिस हालत में उसने ओएमटी पर ली थी। इनमें आगर-बुरहानपुर, आष्टा-कन्‍नौद, कटनी-सिंगरौली, नसरूल्लागंज-कौसमी, शाजापुर-आष्टा, सुसनेर-खिलचीपुर, बरेली-पिपरिया, भोपाल-विदिशा, सिवनी-मंडला, खलघाट-मनावर, रायसेन-नरसिंहपुर और विदिशा-कुरवाई की सड़कें शामिल हैं।

प्रोजेक्टों पर एक नजर
पीडब्ल्यूडी - प्रदेश में सड़क बनाने के लिए 28 हजार करोड़ के प्रोजेक्ट।
पीएचई - ग्रामीण क्षेत्रों के घरों में नल से पानी पहुंचाने के लिए 1200 करोड़ के प्रोजेक्ट।
स्वास्थ्य विभाग - मेडिकल कॉलेज प्रोजेक्ट के लिए 1000 करोड़।
स्कूल शिक्षा विभाग - प्रदेश भर में स्कूल भवन के लिए 1000 करोड़।
नगरीय विकास एवं पर्यावरण - शहरों में जल-सीवरेज ट्रीटमेट वाटर प्लांट आदि के लिए 1500 करोड़ के प्रोजेक्ट।
ग्रामीण विकास एवं पंचायत - ग्रामीण क्षेत्रों में स्टेडियम और खेल मैदान बनाने के लिए 100 करोड़ के प्रोजेक्ट।
पशुपालन - प्रदेश में दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने और आधुनिक डेयरी बनाने के लिए 80 करोड़।
उद्योग विभाग - उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए इंडस्ट्रीयल टाउनशिप आदि के लिए 1000 करोड़।
ऊर्जा विभाग - बिजली की पुरानी लाइनें और खंबों सहित आधुनिकीकरण प्रोजेक्ट के लिए 700 करोड़।
कृषि विभाग - किसानों को आध्ाुनिक खेती के लिए ट्रेनिंग सेंटर सहित किराए पर ट्रैक्टर सहित अन्य कृषि उपकरण के लिए 150 करोड़ का प्रोजेक्ट।
ट्रांसपोर्ट - कम्प्यूटराईज्ड टोल नाके सहित परिवहन के क्षेत्र इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के लिए 1500 करोड़।
खेल एवं युवक कल्याण - प्रदेश भर में नए स्टेडियम और खेल मैदान बनाने के लिए 1000 करोड़ का प्रोजेक्ट।
तकनीकी शिक्षा - युवाओं को कौशल उन्न्यन का प्रशिक्षण कराने के लिए प्रदेश भर में ट्रेनिंग सेंटर का प्रोजेक्ट 500 करोड़।
पर्यटन विभाग - नए पर्यटन क्षेत्रों के डेवलपमेंट

यह होता है पीपीपी मोड
सरकार किसी भी काम (सड़क, पुल एवं सरकारी भवन आदि) के निर्माण के लिए निजी निवेशक से पैसा लगवाती है, उसे पीपीपी (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) मोड कहा जाता है। इसमें किसी भी प्रोजेक्ट की ऑफसेट प्राईज तय कर सरकार निवेशकों से टेंडर बुलाती है। जिसकी दरें कम होती हैं उसे काम दिया जाता है।
इस तरह के प्रोजेक्ट में निवेशक अपना पैसा लगाता है, उसके बाद सरकार उसे किश्तों में पैसा लौटाती है। इसके अतिरिक्त अनुबंध के अनुसार पैसा निवेश करने और भुगतान की शर्तें भी अलग-अलग रखी जाती हैं। इससे सरकार बगैर पैसे के इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कर सकती है वहीं निवेशक सरकार के काम में भागीदार बनकर अपना मुनाफा भी कमा लेते हैं।


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