गुस्से में आए मोदी |
नई दिल्ली। तंबाकू उत्पादों के पैकेट पर सचित्र चेतावनी का आकार बढ़ाने की अधिसूचना वापस लेने को लेकर उठे विवाद में अब सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दखल दिया है। उन्होंने स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा को कहा है कि इस मामले पर कतई कदम पीछे नहीं खींचे जाएं। पीएम ने तंबाकू उत्पादों के पैकेट के 60 से 65 फीसद हिस्से पर चेतावनी छापने का आदेश दिया है।
इसी तरह उन्होंने ऐसे सांसदों को संबंधित संसदीय समिति से भी हटने को कहा है, जिनका खुद तंबाकू कारोबार से कोई हित जुड़ा है। दोनों तरफ होगी चेतावनी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बेंगलुरु में चल रही भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के दौरान ही इस मामले पर स्वास्थ्य मंत्री को निर्देश दिया है।
सूत्रों के मुताबिक उन्होंने कहा है कि तंबाकू उत्पादों को लेकर सरकार के रुख में कोई नरमी नहीं आनी चाहिए। ऐसे उत्पादों के पैकेट पर चेतावनी को बढ़ाने के लिए भी उन्होंने स्पष्ट आदेश दिए हैं। पहले इन उत्पादों के पैकेट के एक तरफ 40 फीसद हिस्से में चेतावनी होती थी। मगर अब इसे बढ़ा कर दोनों तरफ 60 से 65 फीसद किया जाएगा। हर्षवर्धन ने 85 फीसद हिस्से में चेतावनी किया था अनिवार्य इससे पहले तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री हर्ष वर्धन ने पिछले वर्ष 15 अक्तूबर को अधिसूचना जारी कर इस वर्ष एक अक्तूबर से ऐसे उत्पादों के पैकेट पर दोनों तरफ 85 फीसदी हिस्से में चेतावनी को अनिवार्य कर दिया था।
मगर स्वास्थ्य मंत्रालय ने पिछले हफ्ते नया आदेश जारी कर इस अधिसूचना पर रोक लगा दी। हटेंगे इलाहाबाद के सांसद गुप्ता साथ ही प्रधानमंत्री ने भाजपा के उन सांसदों को लोकसभा की अधीनस्थ नियम समिति से हट जाने को भी कहा है, जिनका तंबाकू कारोबार से कोई हित जुड़ा है। इस समिति ने स्वास्थ्य मंत्रालय को अपनी अंतरिम रिपोर्ट में कहा था कि वह अपनी अधिसूचना को समिति की अंतिम रिपोर्ट आने तक स्थगित कर दे।
इस समिति में इलाहाबाद के लोकसभा सदस्य श्याम चरण गुप्ता भी शामिल हैं, जिनका खुद बीड़ी का बड़ा कारोबार है। इस तरह के कदम उठाती रहती है सरकार प्रधानमंत्री के इन फैसलों के बारे में पूछे जाने पर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने साफ तौर पर तो कुछ नहीं कहा, मगर यह जरूर कहा कि 'तंबाकू उपयोग को हतोत्साहित करने के लिए सरकार लगातार कदम उठाती रहती है। बजट में भी इस बात के संकेत दिए गए थे।' संसदीय समिति से सांसदों को हटने के संबंध में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, 'समितियों का गठन और संचालन संसदीय व्यवस्था के तहत होता है। इस संबंध में जो फैसला करना है वह संसद और लोकसभा अध्यक्ष को करना है।'