पढ़िए करोड़पतियों को मिली टैक्स छूट, आखें फटी रह जाएंगी

नई दिल्ली। सरकार आम नागरिकों पर लगातार टैक्स बढ़ाती जा रही है। पेट्रोल हो या दूसरे दैनिक उपयोग के सामान, हर चीज पर चुपके से टैक्स बढ़ा दिया जाता है। रोजमर्रा की जद्दोजहद में जुटा मिडिल क्लास कराहकर रह जाता है। यदि कभी सवाल उठाता है कि दलील दी जाती है कि देश के विकास के लिए टैक्स तो देना ही होगा, लेकिन यदि सरकार करोड़पतियों को जो टैक्स छूट देती है यदि आप उसे जान लेंगे तो आखें फटी रह जाएंगी।

वित्त मंत्रालय के अनुसार बीते वित्त वर्ष 2014-15 में हीरा और सोने पर विभिन्न तरह की कर रियायतों से सरकारी खजाने को भारी भरकम 75,592 करोड़ रुपये की राजस्व हानि (रेवेन्यू फॉरगोन) होने का अनुमान है।

इसका खुलासा आम बजट 2015-16 के दस्तावेजों से हुआ है। इन दस्तावेजों के मुताबिक सोने व हीरे के बाद कच्चे तेल और खनिज तेल का स्थान आता है, जिस पर दी जा रही टैक्स छूट से 72,180 करोड़ रुपये की राजस्व हानि होने का अनुमान है।

दूसरी ओर खाद, दवाएं और टेक्सटाइल जैसी आम जरूरत की चीजें हैं, जिन पर टैक्स छूट का खास प्रभाव राजस्व हानि के रूप में नहीं है। दवाओं पर टैक्स रियायतों से 1,028 करोड़ के नुकसान का अनुमान है। उर्वरक पर छूट से राजस्व पर 5,018 करोड़ रुपये का असर पड़ेगा।

मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि यह छूट देश में कारोबारी गतिविधियों को बढ़ाने के लिए दी जाती है। इसलिए अगर इसका राजस्व पर प्रभाव पड़ रहा है तो भी यह अनुचित नहीं है। यह रियायत देने का फैसला सरकार आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के इरादे से सोच समझकर करती है।

अब चलते हैं व्यक्तिगत और कॉरपोरेट टैक्स छूट के चलते हुई राजस्व हानि के आंकड़ों पर। ये आंकड़े बताते हैं कि वित्त वर्ष 2014-15 में कॉरपोरेट को कर रियायतों से खजाने को लगभग 62,398 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।

इसके अलावा धर्मार्थ और धार्मिक कार्य करने वाली संस्थाओं को टैक्स छूट के चलते 2,25,472 करोड़ रुपये की राजस्व हानि हुई है। खास बात यह है कि पिछले वित्त वर्ष में कर संग्रह में लगभग नौ प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जबकि राजस्व हानि में लगभग 15 फीसद का इजाफा हुआ है।

क्या है रेवेन्यू फॉरगोन?
सरकार जब कानून के तहत कर की निर्धारित दर से कम पर टैक्स वसूलती है या छूट देती है तो टैक्स की प्रभावी दर कम हो जाती है। इसे रेवेन्यू फॉरगोन कहते हैं। इसे टैक्स छूट के रूप में अप्रत्यक्ष सब्सिडी भी कहा जा सकता है। सरकार ने वर्ष 2006-07 से राजस्व हानि (रेवेन्यू फॉरगेन) के आंकड़े संसद में रखने की शुरुआत की थी। सरकार रेवेन्यू फॉरगोन को सही ठहराती है।

किससे कितनी चपत वस्तुएं राजस्व हानि
सोना और हीरे 75,592
कच्चा तेल 72,180
खाद्य तेल 57,511
मशीनरी 31,664
प्राथमिक धातुएं 15,219
रसायन व प्लास्टिक 18,812
टेक्सटाइल 15,851
उर्वरक 5,018
दवाएं 1,028
(सभी आंकड़े करोड़ रुपये में)


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