रीमा नागराजन/नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने 2012 में पहली बार लोगों को मुफ्त दवाएं देने का वादा किया था। इसके लिए 2013 के बजट में प्रावधान किया गया। पिछले साल 348 जरूरी दवा मुफ्त देने के वादे को ठोस रूप दिया गया। बाद में इसमें कटौती करके सिर्फ 50 दवाओं को ही मुफ्त श्रेणी में रखा गया। और अब मुफ्त दवा बांटने की केंद्र सरकार की स्कीम को पूरी तरह से सर्द बस्ते में डाल दिया गया है।
स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव (पॉलिसी) मनोज झलानी ने इस बात की पुष्टि की कि अब मुफ्त दवा और रोगों की जांच की अलग से कोई केंद्रीय स्कीम नहीं होगी। झलानी ने बताया, 'मुफ्त दवा का प्रबंध राज्य सरकारों द्वारा राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के तहत किया जाएगा। केंद्र सरकार मुफ्त दवा स्कीम को शुरू करने के लिए राज्यों को वित्तीय सहायता देगी। अगर कोई राज्य मुफ्त दवा स्कीम को शुरू करता है और इस सिस्टम को सुचारू ढंग से चलाने की शर्तों को पूरा करता है तो केंद्र सरकार उस राज्य को एनएचएम का 5 फीसदी वित्तीय सहायता के रूप में देगी। भारी संख्या में राज्यों ने इस पर सहमति जताई है।'
पिछले साल अपने बजट भाषण में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने उल्लेख किया था, 'सभी को स्वास्थ्य की दिशा में आगे बढ़ने के लिए दो कदम उठाने बहुत ही जरूरी हैं जैसे मुफ्त दवा सेवा और मुफ्त रोग जांच सेवा को प्राथमिकता दी जाएगी। लेकिन इस साल के बजट में इसके लिए कोई प्रावधान नहीं किया गया। उनके इस साल के बजट भाषण में दवा और रोग जांच नाम का शब्द कहीं आया ही नहीं।