नई दिल्ली। गुड फ्राइडे पर बुलाई गई जज कॉन्फ्रेंस पर विवाद बढ़ गया है। गुड फ्राइडे पर कॉन्फ्रेंस बुलाने का विरोध करने वाले जस्टिस कूरियन जोसेफ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिख कर पूछा है कि जब दीवाली और ईद पर ऐसे आयोजन नहीं होते तो फिर गुड फ्राइडे क्यों। आम नागरिकों में यह विवाद उच्चस्तर पर चल रहे मानसिक साम्प्रदायिक तनाव के रूप में पेश हो रहा है।
चिट्ठी में उन्होंने लिखा है कि वो गुड फ्राइडे की वजह से परिवार के साथ केरल में हैं और इस मौके पर आयोजित डिनर में नहीं आ पाएंगे। उन्होंने यह भी लिखा है कि दीवाली, दशहरा, होली, ईद, बकरीद जैसे शुभ और पवित्र दिन ऐसा कोई आयोजन नहीं होता। उन्होंने प्रधानमंत्री से सभी पवित्र दिनों को समान महत्व दिए जाने का आग्रह भी किया है।
जस्टिस जोसेफ ने प्रधानमंत्री को लिखा है, मैं जानता हूं कि आयोजन के कार्यक्रम में बदलाव के लिए बहुत देर हो चुकी है परंतु भारतीय धर्मनिरपेक्षता के अभिभावक के रूप में मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि इस तरह के आयोजनों का कार्यक्रम बनाते समय इन सरोकारों को ध्यान में रखा जाए और सभी धर्मों के पवित्र दिनों का सम्मान किया जाए, जिन्हें राष्ट्रीय अवकाश का दिन घोषित किया गया है। मैंने अपनी चिंता से प्रधान न्यायाधीश को भी अवगत कराया है।
जस्टिस जोसेफ ने इससे पहले गुड फ्राइडे से ईस्टर (शुक्रवार से रविवार) के बीच इस सम्मेलन का आयोजन किए जाने पर आपत्ति जताते हुए देश के मुख्य न्यायाधीश एचएल दत्तू को लिखे अपने पत्र में कहा था, मैं गहरी नाराजगी के साथ आपका ध्यान दिलाना चाहता हूं कि इस तरह का एक महत्वपूर्ण सम्मेलन ऐसे समय में नहीं होना चाहिए था, जब हममें से कुछ लोग हमारे धार्मिक समारोहों और पारिवारिक आयोजनों में शामिल होते हैं।
जोसेफ ने कहा कि वह सांप्रदायिक नजरिए से ऐसा नहीं कह रहे, लेकिन इस तरह के महत्वपूर्ण कार्यक्रम दीवाली, दशहरा, होली, ईद आदि के दौरान नहीं होते। सम्मेलन में न्यायपालिका के कामकाज पर विचार किया जाना है। हालांकि जस्टिस दत्तू ने जवाब में कहा था कि जोसेफ को यह सवाल खुद से पूछना चाहिए, क्योंकि वह उनसे नहीं पूछ सकते कि किसी को संस्थागत हित या व्यक्तिगत हित में से किसे प्राथमिकता देनी चाहिए।