भोपाल। भोपाल की सड़कों पर लोफ्लोर बसों का संचालन करने वाली कंपनी Prasanna Purple जहां एक तरफ सड़कों पर मोनो पॉली चाहती है वहीं दूसरी ओर वो कतई नहीं चाहती कि भोपाल में मेट्रो चले। पहले सिटी बसों पर अडंगा डाला था अब मेट्रो ट्रेन के मामले में टांग फंसा रही है।
प्रसन्ना पर्पल चाहती है कि यदि भोपाल में लाइट मेट्रो ट्रेन चलाई ही जानी है, तो बीआरटी कॉरिडोर से हटकर दूसरी जगह उसका पाथ होना चाहिए। अर्थ यह कि वो यात्रियों के लिए कंर्फटेबल नहीं होना चाहिए ताकि लोगों को मजबूरन उन्हीं की कंपनी की बसों में सफर करना पड़े।
भोपाल शहर के स्मार्ट सिटी बनाने के लिए शासन स्तर पर कवायद चल रही है। स्मार्ट सिटी में किस तरह स्मार्ट मोबेलिटी के साधन विकसित हो, इसके लिए शनिवार को आईएसबीटी परिसर में कॉन्फ्रेंस हुई। इसमें बताया गया कि भोपाल में आने वाली लाइट मेट्रो ट्रेन का शहर पर कैसा और क्या प्रभाव पड़ेगा।
लाइट मेट्रो ट्रेन पर सवाल-जवाब के दौरान बीआरटी कॉरीडोर में संचालन कर रहे डॉ गुरेंदर गुलाटी ने कहा, मेट्रो ट्रेन में 23 हजार करोड़ रुपए का जब इन्वेस्टमेंट हो रहा है, तो उसे इंटीग्रेटेड रूप में होना चाहिए और बीआरटी कॉरीडोर से उसे नहीं गुजरना चाहिए। इस पर नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग में ओएसडी कमल नागर भड़क गए। उन्होंने कहा कि बीआरटी कॉरीडोर से आपको इतना मोह क्यों है। शहर के विकास के लिए जो जरुरी काम होंगे, वह तो करने ही होंगे। पहले शहर की जरूरत बीआरटी कॉरीडोर थी, अब लाइट मेट्रो ट्रेन है, आगे कुछ और होगा।
खुलकर सामने आई प्रसन्न पर्पल
बीसीएलएल का हमारे साथ 2018 तक अनुबंध हुआ। कॉरीडोर में बस डेढ़ साल पहले ही चलनी शुरू हुई है और अभी कंपनी को कोस्ट निकालने में ही पसीने आ रहे हैं। अब बीआरटी कॉरीडोर में मेट्रो ट्रेन लाने की तैयारी हो रही है। ऐसे में तो हमें नुकसान ही होगा।
सुभाष बचकैंया
पीआरओ, प्रसन्ना पर्पल मोबेलिटी सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड
कोई वैकल्पिक रास्ता ही नहीं है
शहर का जिस तेजी से विकास हो रहा है, उसके हिसाब से यहां लाइट मेट्रो ट्रेन चलाने की तैयारी है। पुराने शहर से नए शहर को जोड़ने के लिए और कोई वैकल्पिक रास्ता ही नहीं है, इसलिए बीआरटी कॉरीडोर में भी लाइट मेट्रो का रूट आ रहा।
चंद्रमौली शुक्ला, अपर आयुक्त, नगरनिगम
पहले सिटी बसों के खिलाफ किया था षडयंत्र
प्रसन्ना पर्पल ने इससे पहले सिटी बसों को बंद कराने के लिए षडयंत्र रचा था। लोगों के बीच सिटी बसों के खिलाफ माहौल क्रिएट करने के लिए एक सर्वे कराया गया था और इस सर्वे के नतीजे बताते थे कि सिटी बसें कितनी कंडम हैं और उनका किस तरह से अवैध संचालन हो रहा है। हालांकि इस तरह का सर्वे करने का अधिकार कंपनी को नहीं है। कंपनी ने सरकार को धमकी भी दी थी कि यदि सिटी बसें बंद नहीं की गईं तो वो अपनी बसों का संचालन बंद कर देगी लेकिन सरकार ब्लेकमेल नहीं हुई।
अब देखना रोचक होगा कि करोड़ों कमाने आई प्रसन्ना पर्पल भोपाल में मेट्रो ट्रेन की परियोजना को प्रभावित करने के लिए क्या क्या गुंताड़े बिठाती है।