तहसीलदार के गालियां देने वाले पूर्व विधायक को कारावास

आनंद ताम्रकार/बालाघाट। परसवाडा के पूर्व विधायक उमाशंकर मुजारे को तत्कालीन तहसीलदार को जातिसूचक शब्दों से अपमानित करने एवं शासकीय कार्य में बाधा पहुचने के मामले में 6 माह के कारावास एवं 10 हजार रूपये के अर्थदण्ड से दंण्डित किया गया है। यह निर्णय 30 मार्च को बालाघाट के अनुसूचित जाति जनजाति अधिनियम के विशेष न्यायाधीश जगतमोहन चतुर्वेदी ने सुनाया है।

अभियोजन के अनुसार 23 जनवरी 2013 को उमाशंकर मुजारे ने अधिवक्ता हरिशंकर श्रीवास्तव के साथ जमीन बटवारे को लेकर चल रहे प्रकरण में बालाघाट तहसील कार्यलय पहुचकर तहसीलदार जी सी डेहरिया से बटवारा प्रकरण में फैसला करने को कहा इस पर जब तहसीलदार ने कहा कि पटवारी हल्का ने इस संबंध में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत नही की है तभी मुजारे ने डेहरिया को जातिसूचक शब्दों से अपमानित करते हुये शासकीय कार्य में बाधा पहुचाई और तहसीलदार को जान से मारने की धमकी दी थी।

इस घटना की शिकायत तहसीलदार द्वारा कोतवाली थाना बालाघाट में दर्ज कराई गई थी जिसके आधार पर पुलिस ने मुजारे तथा अधिवक्ता श्रीवास्तव के खिलाफ धारा 186, 353, 294, 506, 109, 34 तथा आईपीसी धारा 3(1) 10 एससी, एसटी एक्ट के तहत मामला न्यायालय में प्रस्तुत किया गया था।

न्यायालय द्वारा इस मामले में अधिवक्ता श्रीवास्तव को धारा 353,109 एवं मुजारे को 294,506 ताही 3(1) 10 एससी एसटी एक्ट के अपराध में दोषामुक्त किया गया लेकिन पूर्व विधायक मुजारे को धारा 353 आईपीसी के तहत अपराध सिद्ध होने पर 6 माह की सजा एवं 10 हजार रूपये का अर्थदण्ड से दण्डित किया गया। उमाशंकर मुजारे पूर्व सांसद कंकर मुजारे के छोटे भाई है।

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