संकट में मप्र के मॉडल स्कूल, मोदी ने रोकी ग्रांट

भोपाल। राज्य में चार साल पहले खोले गए 201 विकास खंड स्तरीय मॉडल स्कूल बंद होने की स्थिति में हैं। केंद्र सरकार ने इन स्कूलों की ग्रांट बंद कर दी है। ऐसे में स्कूल शिक्षा विभाग स्कूलों को बचाने की कोशिशों में तो लग गया है, लेकिन सारा दारोमदार अब राज्य सरकार पर टिका है। यदि सरकार इन स्कूलों को चलाने के लिए बजट देने को राजी होती है, तो ये स्कूल नए स्वरूप में दिखाई देंगे। वरना बंद हो जाएंगे।


केंद्र सरकार ने वर्तमान वित्तीय वर्ष से इन स्कूलों की ग्रांट अचानक रोक दी है। जिससे भवन निर्माण, शिक्षकों के वेतन सहित अन्य जरूरी गतिविधियों पर असर पड़ेगा। सूत्र बताते हैं कि विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों की मॉडल स्कूल चालू रखने में रुचि है। इसलिए विभाग शासन से बजट मांगने की जुगत में लगा है। इसके लिए शासन को प्रस्ताव भी भेजा जा रहा है। हालांकि अधिकारी इस सोच-विचार में लगे हैं कि इन स्कूलों को नए स्वरूप में किस नाम और कोर्स के साथ चलाया जाए। अधिकारियों के सामने शिक्षकों की नियुक्ति भी बड़ी चुनौती है। उल्लेखनीय है कि मॉडल स्कूल योजना वर्ष 2011-12 में शुरू हुई थी। इसके तहत चलने वाले स्कूलों पर केंद्र 66 और राज्य सरकार 33 फीसद राशि खर्च कर रहे थे।

अनुमति मिलने में संदेह
राज्य सरकार इन स्कूलों को नियमित संचालित करने के लिए विभाग को बजट देगी, इसमें संदेह है। क्योंकि विकास खंड स्तर पर पहले से ही उत्कृष्ट विद्यालय संचालित किए जा रहे हैं, जो मॉडल स्कूल स्तर के हैं। ऐसे में एक जैसी सुविधाओं के लिए सरकार राशि क्यों देगी। उल्लेखनीय है कि मॉडल स्कूल केंद्रीय विद्यालयों के पैटर्न पर शुरू किया जाना था। जबकि उत्कृष्ट विद्यालय जवाहर नवोदय विद्यालय के पैटर्न पर संचालित किए जा रहे हैं। दोनों का पैटर्न एक जैसा ही है और विभाग पैटर्न फॉलो करने के मामले में दोनों में ही फेल रहा है।

मॉडल स्कूलों की वर्तमान स्थिति
प्रदेश में 201 विकास खंडों में संचालित इन स्कूलों में वर्तमान में 41 हजार विद्यार्थी पढ़ रहे हैं। इनके लिए केंद्र से विभाग को हर साल 58 करोड़ की ग्रांट मिलती थी। इसमें भवन निर्माण सहित अन्य गतिविधियों को संचालन किया जाता था। विभाग पिछले चार सालों में 59 स्कूलों के भवन बना चुका है। जबकि 135 स्कूलों के भवन निर्माणाधीन हैं। प्रदेश में 7 स्कूल ऐसे भी हैं, जिनके भवनों का निर्माण अभी शुरू भी नहीं हुआ है। दुखद पहलू यह है कि न तो ये स्कूल केंद्रीय विद्यालय के पैटर्न पर शुरू हो पाए और न ही चार सालों में शिक्षकों की भर्ती की गई। जिस कारण ये स्कूल पूरे समय अतिथि शिक्षकों के भरोसे चले हैं।

अंग्रेजी माध्यम की पहल
सूत्र बताते हैं कि अधिकारी इन स्कूलों का संचालन संभालने के साथ ही इनको अंग्रेजी माध्यम से चलाने पर भी विचार कर रहे हैं। ऐसा हुआ, तो यह विभाग के लिए बड़ी उपलब्धि हो सकती है और केंद्रीय विद्यालयों के पैटर्न पर स्कूल चलाने की बात भी पूरी हो जाएगी।

मॉडल स्कूलों को बिल्कुल बंद नहीं कर रहे हैं। बल्कि उन्हें कैसे चलाया जाए, इस पर विचार कर रहे हैं।
डीडी अग्रवाल
आयुक्त, लोक शिक्षण संचालनालय

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!
$("#merobloggingtips-before-ad .widget").each(function () { var e = $(this); e.length && e.appendTo($("#before-ad")) }), $("#merobloggingtips-after-ad .widget").each(function () { var e = $(this); e.length && e.appendTo($("#after-ad")) });