काली पट्टी बांधकर मूल्यांकन कार्य करेंगें शिक्षक-अध्यापक

मण्डला। शिक्षा के निजीकरण के विरोध में रविवार को रिपटा घाट में जिले के विभिन्न शिक्षक अध्यापक संगठनों की विशेष बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में उपस्थित शिक्षक और अध्यापकों में सरकार के शिक्षा के निजीकरण के प्रस्ताव पर गहरा आक्रोश देखा गया।


मप्र शिक्षक कांग्रेस के ललित दुबे ने इसे शिक्षक की प्रतिष्ठा पर हमला बताया और कहा कि शिक्षक समुदाय इसे कभी भी बर्दाश्त नहीं करेगा। निरंजन कछवाहा ने कहा कि शिक्षा का मामला जन कल्याण से जुड़ा मामला है और देश की सुरक्षा से जुड़े मामले की तरह गम्भीर है जिस तरह देश की सुरक्षा व्यवस्था का निजीकरण नहीं किया जा सकता उसी तरह से शिक्षा का भी निजीकरण नहीं होना चाहिये। राज्य अध्यापक संघ के जिला शाखा अध्यक्ष डी.के सिंगौर ने कहा कि शिक्षा का निजीकरण करने के लिये जहां सरकार को अध्यापक, शिक्षक और गरीब जनसमुदाय के विरोध का सामना करना पडे़गा । वहीं संविधान के अनुच्छेद 243 घ जिसके तहत स्कूल शिक्षा की व्यवस्था स्थानीय निकायों के अधीन की गई है और शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत अनिवार्य और निःशुल्क शिक्षा का गला घोटनां पडे़गा जो कि आसान नहीं होगा। अध्यापक सह संविदा शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष संजीव वर्मा ने अपने विचार रखते हुये कहा कि सभी अध्यापक और शिक्षक समुदाय को एकजुट होकर सरकार की इस गरीब विरोधी नीति का खुलकर विरोध करना पडेगा और चरण बद्व आंदोलन करना चाहिये। बैठक में संयुक्त मोर्चा का गठन किया गया जिसका नाम शिक्षा बचाओं शिक्षक अध्यापक संयुक्त मोर्चा नाम रखा गया। मोर्चा ने निणर्य लिया कि आंदोलन के प्रथमि चरण में जिले के सभी शिक्षक और अध्यापक कक्षा पहली से लेकर बारहवीं तक का सम्पूर्ण मूल्यांकन काली पटटी बांधकर करेंगें और आज सोमवार को 5 बजे कलेक्टर मण्डला को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपेगें। मोर्चा ने सभी शिक्षक अध्यापकों से उपस्थित होने की अपील की है। बैठक में निमर्ल पटेल,रवीन्द्र चैरसिया,सम्पत श्रीवास,आर.एन अवस्थी,सम्पत श्रीवास,कृष्ण कुमार हरदहा,संजय साहु, प्रकाश सिंगौर,देवसिंह कुशराम,दिनेश यादव,मनसुख लाल नंदा,सुनील कुमार तिवारी,दिलीप श्रीवास,ए.के.चक्रवर्ती,एम,एल,मार्को, निरंजन कछवाहा, ललित दुबे, संजीव वर्मा, डी.केसिंगौर आदि उपस्थित थे।

मोर्चा में 9 सूत्रीय ज्ञापन तैयार किया गया जिसमें कहा गया कि शिक्षकों से समस्त गैर शिक्षकीय कार्य बंद कराये जाये। विद्यालय में दर्ज संख्या के मान से शिक्षकों की पद पूर्ति की जाये। प्राचार्य और प्रधानाध्यापकों के खाली पदों को भरा जावे। शिक्षकों की मल्टीकेडर प्रथा समाप्त की जावे। विद्यालय में सभी भौतिक संसाधन विद्युत्त, कम्प्यूटर, इण्टरनेट, फर्नीचर, सुसज्जित प्रयोगशाला की पूर्ति की जावे। जब तक सभी विद्यालयों में पर्याप्त शिक्षकों की पदपूर्ति न हो जावे कोई भी नई शाला न खोली जावे। शिक्षा गरीबों से दूर न हो इसलिये शासकीय विद्यालय निजी हाथों में न सौंपे जावे।


#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!