ग्वालियर/मप्र। मुरैना जिले में एक बार फिर रेत माफिया ने पुलिस पर हमला किया। एक पुलिस अधिकारी पर डंपर चढ़ा दिया जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई। आपत्तिजनक तो यह है कि उसके साथी पुलिस अधिकारियों ने ना तो उसकी जान बचाई और ना ही माफिया के ड्रायवर को पकड़ा। वो बस मूकदर्शक बने रहे।
बता दें कि 2012 में मुरैना के ही बानमौर इलाके में आईपीएस अफसर नरेन्द्र कुमार सिंह की हत्या भी इसी तरह कर दी गई थी। खनन माफिया के इशारे पर ट्रैक्टर से कुचलकर उनको मार दिया गया था। मामले की सीबीआई जांच भी हुई थी। आरोपी को दस साल की सजा हुई।
ताजा मामला रविवार सुबह का है। नूराबाद पुलिस का एक दल थाना प्रभारी एसडी मिश्रा के साथ धनेला गांव में एक आरोपी को पकड़ने जा रहा था। उसी दौरान करैह धाम रोड पर एक रेत से भरा डंपर आता दिखाई दिया। चूंकि चंबल नदी में रेत खनन पर रोक है, इसके चलते पुलिस ने अपनी जीप डंपर के पीछे लगा दी और ओवरटेक करके रोक दिया। थाना प्रभारी मिश्रा ने सिपाही धर्मेन्द्र चौहान से कहा कि वह ड्राइवर से पूछताछ करे और डंपर की चाबी निकाल ले।
सेना से रिटायर हुए सिपाही धर्मेन्द्र डंपर पर ड्राइवर की साइड से चढ़ गए। इस बीच ड्राइवर ने बैक गियर लगाकर डंपर को पीछे करना शुरू कर दिया। बैक करते में ही डंपर सड़क के किनारे बनी नाली में जाकर गिर गया और इस बीच डंपर पर चढ़े सिपाही धर्मेन्द्र को संभलने का मौका तक नहीं मिला औऱ वह उसकी चपेट में आ गए। उधर, ड्राइवर डंपर के केबिन का कांच तोड़कर भाग गया। धर्मेन्द्र ने मौके पर ही दम तोड़ दिया।
पुलिस मूकदर्शक बनी देखती रही
जब डंपर बैक हो रहा था तो जीप में बैठे किसी भी पुलिसकर्मी ने धर्मेन्द्र चौहान की मदद नहीं की। यही नहीं, डंपर का ड्राइवर केबिन का कांच तोड़कर भागा तो भी पुलिसकर्मियों ने उसे पकड़ने का प्रयास नहीं किया। इससे उसे भागने का मौका मिल गया, लेकिन सिपाही धर्मेन्द्र की जान चली गई। इस मामले में चंबल रेंज के आईजी रूप सिंह मीणा का कहना है कि धनेला गांव में लूट का आरोपी पकड़ने के दौरान रेत का डंपर चेक करने के दौरान यह अनहोनी हुई है। पुलिस इस मामले में सख्ती से कार्रवाई कर रही है।