शिवपुरी। राज्य सरकार स्कूल शिक्षा विभाग के सरकारी स्कूलों का संचालन निजी हाथों मे सौंपने की कवायद कर रहा है। प्राइवेट पब्लिक पार्टनरशिप पीपीपी के आधार पर यह प्रयोग अगले शिक्षा सत्र से प्रदेश के एक जिले में किया जायेगा। राज्य सरकार इस दिषा मे प्रारंभिक कार्यवाही शुरू कर चुकी हैै। योजना के तहत निजी निवेशकों को सरकारी स्कूल बिल्डिंग,स्टाफ व छात्रों के साथ सौंपे जायेंगे।
इन स्कूलों मे सरकारी स्टाफ ही रहेगा लेकिन प्रतिनियुक्ति पर इन स्कूलों पर संस्था के अधिकारी वतौर एमडी स्कूल का प्रबंधन सभालेंगे उन्हे किसी भी षिक्षक को रखने और हटाने का अधिकार होगा पर विभाग से अनुमति अनिवार्य होगी। सरकारी स्कूलों के निजीकरण को लेकर कर्मचारी संघों ने अपना मोर्चा खोल दिया है। पीपीपी के विरोध मे कर्मचारी संघ एकजुट होकर माननीय मुख्यमंत्री महोदय के नाम जिलाधीष को ज्ञापन सौपेंगे।
मप्र कर्मचारी कांग्रेस के जिलाध्यक्ष राजेन्द्र पिपलौदा एवं अध्यापक संविदा षिक्षक संघ के प्रांतीय उपाध्यक्ष राजकुमार सरैया ने संयुक्त रूप से वताया कि यदि सरकार षिक्षा के प्रति वाकई गंभीर है तो आए दिन किये जा रहे प्रयोगों को बंद कर षिक्षक से सिर्फ शैक्षणिक कार्य ही कराये तो छात्र एवं प्रदेष का हित होगा। आज मध्य प्रदेष मे सभी प्रदेषों से दयनीय हालत मे अध्यापक है। जिसमे आज 17 सालों से यह सरकार अध्यापकों को मृत्यू बीमा, पुरूष स्थानांतरण नीति, रिटायर्टमेंट पर ग्रेच्युटी का लाभ भी सरकार नही दे पायी। वहीं दूसरी ओर षिक्षा विभाग और अध्यापकों का कार्य पंचायत विभाग, नगरीय प्रषासन विभाग, आदिम जाति कल्याण विभाग व अन्य दूसरों विभाग द्वारा कराये जा रहे हैं।
आगे की जानकारी मे अध्यापक कांग्रेस के जिलाध्यक्ष सुनील उपाध्याय ने वताया कि षिक्षकों व अध्यापकों से जनगणना, त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव, स्वास्थ्य विभाग का कृमिनाषक गोली वटवानी हो, राजस्व विभाग द्वारा षिक्षकों से जाति व आय प्रमाण पत्र वनवाना हो, मध्यान्य भोजन बटवाना हो, बालक बालिका शौचालय बनवाना हो जैसे अनेक कार्य आज भी राज्य सरकार षिक्षकों व अध्यापकों के भरोसे ही कर पा रही है। उसके वावजूत षिक्षकों व अध्यापकों के वेतन मे जमीन आसमान का अंतर है। दो माह वीत जाने के वाद भी अध्यापकों को वेतन नही मिल पाया है। जिससे उनकी हालत और खराव हो गई है।
शिक्षक व अध्यापक अपनी असीम योग्यताओं का इस तरह से कैसे उपयोग करे जब्कि राज्य सरकार अनेक तरह के गैर शैक्षणिक कार्य कराते चली आ रही है। आज मध्य प्रदेष मे जो षिक्षकों व अध्यापकों की जो दुर्दषा है उसका कारण गैर शैक्षणिक कार्य हैं।
अगर मध्यप्रदेष मे षिक्षा का निजीकरण होगा तो कर्मचारी संघ मिलकर सरकार की षिक्षा मे प्रायवेट पब्लिक पार्टनरषिप का पुरजोर विरोध करेंगे। इस सबंध मे आगामी दिवसों मे बैठक आयोजित कर आगामी रणनीति बनाई जायेगी। तथा सरकारी स्कूलों के निजीकरण करने के विरोध मे कर्मचारी संघ 6 अप्रैल को शांय 4 वजे डीओ कार्यालय के सामने एकत्रित होकर जिलाधीष षिवपुरी को माननीय मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपेगें। कर्मचारी संघ के चन्द्रषेखर शर्मा, ओमप्रकाष जाॅली, भगवत शर्मा, सुनील उपाध्याय, अरविन्द सरैया, संजय भार्गव, स्नेह रघुवंषी, धर्मेन्द्र रघुवंषी, मनमोहन जाटव, धर्मेन्द्र जैन, अषोक शर्मा , अषोक सक्सैना, सीएस सारस्वत, हुकुम चंद राजे, शषि षिवहरे, मनोज भार्गव, अमान उल्ला खां, अतर सिंह धानुक, राजू गर्ग, विवेक वर्धन शर्मा, महेष शर्मा सिरसौद, विष्णू रघुवंषी, प्रदीप शर्मा, सत्येन्द्र भट्ट, भागीरथ रघुवंषी, वृजमोहन जाट, जगदीष वर्मा, भंवरसिंह धाकड़, कैलाष शर्मा, अषोक भटनागर पुरूषोत्तम ककरौआ, महावीर मुदगल, के के उपाध्याय, दिलीप त्रिवेदी, वेदप्रकाष शर्मा, अरूण शर्मा पिपरघार, रामलखन मुडौतिया, विपिन पचैरी, महेन्द्र करारे, विष्णू राठौर, सुनील मौर्य, नारायण कोली, राजीव बाथम, अषोक वर्मा, रामकृष्ण रघुवंषी, दिनकर नीखरा, राजेन्दे चाहर, सुनील वर्मा, राजेष खत्री, आदि ने अधिक से अधिक संख्या मे एकत्रित होकर ज्ञापन को सफल बनाने की अपील की है।