व्यापमं घोटाला | आखिर करना क्या चाहती है एसटीएफ: कांग्रेस का सवाल

भोपाल। प्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता के.के. मिश्रा ने राज्य सरकार के संरक्षण में व्यापम महाघोटाले की जांच कर रही एजेंसी एसटीएफ द्वारा की जा रही जांच प्रक्रिया पर एक और सवालिया निशान लगाते हुए एसटीएफ द्वारा आज प्रकाशित एक विज्ञापन जिसमें प्रकाशन दिनांक से 15 दिवस के भीतर म.प्र. एसटीएफ कार्यालय, जहांगीराबाद, भोपाल में नागरिकों से किसी भी प्रकार की जानकारी/अन्य दस्तावेज जनहित में विवेचना में प्रस्तुत करने की बात कहीं गई है, को इंसाफ और जांच प्रक्रिया के साथ एक क्रूर मजाक बताया है।

आज यहां जारी अपने बयान में मिश्रा ने कहा कि एसटीएफ के पास इस महाघोटाले से संबंधित समूचे दस्तावेज जिनमें हार्डडिस्क, सीडीआर की मूल जानकारियां, इनमें की गई छेड़छाड़ के बाद की स्थितियां, प्रदेश के मुख्य मंत्री शिवराज सिंह चौहान के नामों का 47 बार उल्लेख होना, मुख्यमंत्री निवास से व्यापम महाघोटाले के सरगना पंकज त्रिवेदी और नितिन महेन्द्रा के साथ बातचीत हुई 139 काॅलों की डिटेल्स, मुख्यमंत्री की पत्नी श्रीमती साधना सिंह (कोकिलासिंह) के मोबाईल नं. 9425609866 से किये गये काॅल्स की डिटेल्स, केंद्रीय मंत्री सुश्री उमा भारती की संलिप्तता से संबंधित सारे दस्तावेजी प्रमाण उपलब्ध हैं। यही नहीं, मुख्य मंत्री के सचिव एस.के. मिश्रा से व्यापम मामले को लेकर जेल में बंद शिक्षा और खनिज माफिया सुधीर शर्मा से हुई बातचीत के अंश जैसे महत्वपूर्ण दस्तावेज भी उपलब्ध हैं। कई बड़े नौकरशाहों और व्यापम के चेयरमेन रह चुके आईएएस अधिकारियों की संलिप्ता के भी प्रमाण एसटीएफ के पास उपलब्ध हैं। इनमें से कई महत्वपूर्ण प्रमाणों को कांगे्रस ने एसटीएफ और हाईकोर्ट के निर्देश पर एसटीएफ की निगरानी कर रही एसआईटी को प्रत्यक्ष तौर पर सौंपे हैं, उसके बावजूद भी इन बड़े मगरमच्छों पर एसटीएफ कार्यवाही की हिम्मत नहीं जुटा सकी है और अब इससे संबंधित जानकारियां और दस्तावेज जनता से मांगने के लिए उसे विज्ञापन का सहारा लेकर जनता को भ्रमित कर रही है। यह जांच एजेंसी एसटीएफ की कार्यशैली, उसकी विश्वसनीयता, जांच प्रक्रिया और इंसाफ की आकांक्षाओं के साथ एक क्रूर मजाक है।

मिश्रा ने इस प्रकाशित विज्ञापन में मुख्यमंत्री हेल्पलाईन के टोल फ्री नंबर का भी उल्लेख किये जाने को बेहद आपत्तिजनक और शर्मनाक बताते हुए कहा कि इस महाघोटाले के संरक्षणदाता को ही जानकारी प्रेषित करवाने के पीछे एसटीएफ का मंशा क्या है, स्पष्ट होना चाहिए?


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