राकेश दुबे@प्रतिदिन। कांग्रेस के महासचिव दिग्विजय की सादगी पर तो खुदा भी मरने को तैयार हो गया है| कितने प्रेम से वे ‘मसर्रत साहिब’ और ‘गिलानी साहिब’ को इज्जत बख्स्ते हैं| भरतीय दंड विधान में वर्णित देशद्रोह की धाराओं को भाजपा सरकार भी भूलने पर आमादा है लेकिन यूरोपीय संघ को अब यकीन हो चला है कि पाकिस्तान जो सहयोग यूरोप से ले रहा है, उसका बड़ा हिस्सा आतंकवादियों और उनके संगठन पर ख़र्च कर रहा है। यूरोपीय संघ ने चेतावनी दी है कि यदि यह सही साबित हुआ, तो 2015 में यूरोपीय देश पाकिस्तान को दिये जाने वाले फंड को रोक देंगे।
पाकिस्तान, यूरोप से आतंकवाद उन्मूलन के नाम पर मोटी राशि ले रहा है। पिछले साल यूरोपीय संघ की संस्थाओं से 265.59 मिलियन डॉलर, ब्रिटेन से 334.01 मिलियन डॉलर, और जर्मनी से 157.96 मिलियन डॉलर पाकिस्तान खैरात में ले चुका है। भारत के लिए यह एक अच्छा अवसर था कि यूरोपीय संघ में पाकिस्तान के असल चेहरे को उजागर करता। पाकिस्तान की कमर तोडऩी है, तो उसे खैरात में मिलने वाले स्रोतों को बंद कराना होगा। इसके लिए आक्रामक कूटनीति की दरकार है। लेकिन यूरोपीय संघ में भारतीय कूटनीति के कछुए चाल को देखकर लगता नहीं कि पाकिस्तान को 'एक्सपोज’ करने में हम कामयाब हो पायेंगे। जो भारतीय कूटनीतिक ब्रिटेन और जर्मनी में तैनात हैं, उनके लिए भी यह अच्छा अवसर है कि पाकिस्तान की आर्थिक नाकेबंदी के लिए इन देशों के करदाताओं के आगे अपनी बात रखते कि किस तरह उनकी ख़ून पसीने की कमाई को पाकिस्तान, आतंकवाद की फैक्ट्री चलाने में लगा रहा है। यह बहुत कुछ राजनीतिक इच्छाशक्ति से भी होता है।
अब जिस देश के गृहमंत्री और प्रधानमंत्री को आरंभ में पता ही न हो कि मसर्रत आलम कब और मसर्रत किन प्रक्रियाओं के तहत छोड़ा गया, उनसे क्या उम्मीद की जाए? मसर्रत को राष्ट्र द्रोह में गिरफ्तार करने के लिए उसके द्वारा दिये सार्वजनिक बयान काफी थे, लेकिन सुनकर अफसोस हुआ कि गृहमंत्री जी खुफिया एजेंसियों द्वारा नजऱ रखेंगे और अपने को राष्ट्रीय पार्टी कहने वाली कांग्रेस के अभी महासचिव दिग्विजय सिंह उनके सम्मान में कशीदे पढ़ रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी, लोकसभा में विपक्ष के 'आक्रोश में अपना 'आक्रोश’ समाहित कर रहे थे। कमाल है! एक प्रधानमंत्री इतना बेबस हो सकता है, यह देखकर लज्जा आती है। इससे यही संदेश गया है कि मोदी सरकार के पास भी रीढ़ की हड्डी नहीं है |कांग्रेस को तो कश्मीर में अपनी सरकार के सपने आने लगे हैं मालूम नहीं इन सबकी क्या मर्जी है ?