शिवपुरी। निजी प्रकाशकों की किताबें सीबीएसई स्कूलों में चलाने को लेकर कलेक्टर और निजी स्कूल संचालक आमने-सामने आ गए हैं। एक अप्रैल को जहां कलेक्टर ने आदेश जारी कर निजी स्कूल संचालकों को सख्त लहजे में चेतावनी देते हुए कहा है कि यदि एनसीईआरटी की किताबें स्कूलों में नहीं चलाईं तो स्कूल के प्राचार्य और प्रबंधक कमेटी के खिलाफ धारा 188 के तहत कार्रवाई कर उन्हें जेल भेज दिया जाएगा। इधर निजी स्कूल संचालकों ने इस आदेश को मानने से इंकार कर दिया है। उनका कहना है कि वे 1 अप्रैल से पहले ही नया सत्र शुरू कर चुके हैं और सारी किताबें बिक गईं हैं। ऐसे में अब आदेश पर अमल नहीं हो सकता है।
25 से ही शुरू हो गया सत्र
कलेक्टर ने 1 अप्रैल 2015 को आदेश जारी कर सभी सीबीएसई निजी स्कूलों को एनसीईआरटी के द्वारा चलाई जा रही किताबों को स्कूलों में पाठ्यक्रम में शामिल करने के आदेश जारी किए। नवीन सत्र 1 अप्रैल से शुरू होता है, लेकिन इस बार निजी स्कूल संचालकों ने 25 मार्च से ही इसे शुरू कर दिया। कलेक्टर द्वारा जारी की गई कक्षा 1 से लेकर 8 तक की किताबों की लिस्टेड सूची वाली कोई भी बुक सिलेबस में शामिल नहीं की गई है। निजी स्कूल संचालकों का कहना है कि देर हो चुकी है, आदेश देरी से मिला है।
कोर्ट जाने की दी धमकी
निजी स्कूल संचालकों का कहना है कि फरवरी 2015 में उन्हें माध्यमिक शिक्षा मंडल मध्यप्रदेश भोपाल (राज्य शासन) की तरफ से एक आदेश मिला था, जिसमें कहा गया था कि निजी स्कूलों में किन प्रकाशकों की किताबें चलानी हैं, ये स्कूल स्वामित्व और प्रबंधकीय मैनेजमेंट के विवेकाधिकार पर निर्भर है। इसी आधार पर उन्होंने अपने सिलेबस और प्रकाशकों की किताबें सेल कर दीं। स्कूल संचालकों का यह भी कहना है कि यदि जोर जबर्दस्ती की गई तो वो लोग मामले को लेकर हाईकोर्ट चले जाएंगे।
पिछले सत्र में किया वादा तोड़ा
स्कूल संचालकों ने पूर्व कलेक्टर आरके जैन के समय सत्र 2014-15 में जिला प्रशासन से वादा किया था कि नवीन सत्र 2015-16 के लिए एनसीईआरटी की किताबों को केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा मंडल सीबीएसई की गाइड लाइन के आधार पर स्कूलों में लागू कर देंगे, लेकिन नवीन सत्र शुरू होने से पहले ही पालकों के साथ धोखा करते हुए स्कूल संचालकों ने नवीन सत्र 25 मार्च से ही शुरू कर दिया और फिर से निजी प्रकाशकों की किताबों बेच दीं।
केंद्रीय विद्यालय संगठन नई दिल्ली भी लिख चुका है पत्र
कलेक्टर ने अपने आदेश में केंद्रीय विद्यालय संगठन नई दिल्ली द्वारा छात्रों के हित में स्कूल बैग्स का बोझ कम करने के संबंध में एक पत्र लिखा था, को भी आधार बनाया है। कलेक्टर का कहना है कि बच्चों के स्कूल बैग्स का बोझ कम होना चाहिए और उन पर जबर्दस्ती किताबों और बेजा पाठ्यक्रम को नहीं थोपा जाना चाहिए।
सिर्फ केंद्रीय विद्यालय में चलती हैं NCERT की किताबें
एनसीईआरटी की किताबें इस समय सिर्फ केंद्रीय विद्यालय में संचालित हो रही हैं। इसके अलावा जिलेभर के किसी भी सीबीएसई स्कूल में एक भी पुस्तक एनसीईआरटी के द्वारा प्रकाशित नहीं चलाई जा रही है। निजी स्कूल संचालकों का कहना है कि एनसीईआरटी किताबों का स्टैंडर्ड उस दर्जे का नहीं है। इसलिए उन्हें नहीं चलाया जाता।
कलेक्टर के आदेश को ठेंगा
निजी स्कूल संचालकों ने कलेक्टर द्वारा जारी किए गए इस आदेश को मानने से इंकार कर दिया है। उनका कहना है कि उनके पास राज्य शासन द्वारा दिए गया पहला आदेश है। जिस पर उन्होंने काम कर लिया है। दूसरा आदेश उन्हें अभी तक प्राप्त ही नहीं हुआ है और मिल भी जाएगा तो वो इसे नहीं मानेंगे।
इधर पालक संघ ने की अपील
इधर पालक संघ ने स्कूल पालकों से अपील की है कि यदि कोई स्कूल जबर्दस्ती किताबें खरीदने का दबाव बनाता है और शासन द्वारा तय की गई गाइड लाइन के अनुरुप सिलेबस नहीं चला रहा है तो उसकी शिकायत जिला प्रशासन से तत्काल करें। पालक संघ ने तय की गई गाइड लाइन पर कलेक्टर और स्कूल शिक्षा विभाग का आभार भी जताया है।
ये बोले कलेक्टर
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा मंडल सीबीएसई द्वारा संबंद्घ विद्यालयों में एनसीईआरटी की पुस्तकें उपयोग में लाए जाने के प्रावधान है। हमने उसी को आधार बनाकर आदेश जारी किया है, ये किसी एक जिले के लिए नहीं है, बल्कि इस नियम का पालन सभी सीबीएसई पाठ्यक्रम संचालित कर रहे स्कूलों को करना है। ऐसा नहीं करने की स्थिति में सख्त कार्रवाई होगी।
राजीव चंद्र दुबे, कलेक्टर शिवपुरी।
ये बोले स्कूल संचालक
हमें अभी कलेक्टर का कोई आदेश ही नहीं मिला। हमारे पास एक दूसरा आदेश है जो फरवरी में मिला था। उस आधार पर हमने अपने सिलेबस और पाठ्यक्रम की किताबें बच्चों को दे दी। नया सत्र शुरू हो चुका है। ऐसे में अब पीछे लौटना संभव नहीं है।
शिवकुमार गौतम, किड्स गार्डन स्कूल।
हम स्कूल सत्र शुरू कर चुके हैं और हमें कोई आदेश प्राप्त नहीं हुआ है। आदेश जारी करने में भी देरी हुई है। शासन ने पहले जरूर एक पत्र भेजा था, हम उसका पालन कर रहे हैं।
पवन शर्मा, गीता पब्लिक स्कूल।