भोपाल। मप्र के राज्यपाल महोदय के मामले में जबलपुर हाईकोर्ट ने जो फैसला दिया उसे राहतभरा नहीं कहा जा सकता। मप्र के राज्यपाल की गिरफ्तारी नहीं हो सकती, लेकिन व्यापमं घोटाले के आरोपी रामनरेश के खिलाफ एफआईआर जिंदा है। बाबू रामनरेश जिस दिन राज्यपाल नहीं रहेंगे उसी दिन उनकी गिरफ्तारी हो जाएगी।
मीडिया में कुछ यूं जताया जा रहा है मानो बाबू रामनरेश के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द कर दिया गया है। देश के प्रख्यात वकील रामजेठमलानी केस जीत गए लेकिन एडवोकेट शैलेन्द्र गुप्ता का कहना है कि ये ऐसा नहीं है जैसा मीडिया दिखा रही है। इस गिरफ्तारी पर तब तक ही रोक लगी हुई है जब तक कि व्यापमं घोटाले का एक आरोपी राजभवन में राज्यपाल के पद पर है। जिस दिन वो राज्यपाल नहीं रहेंगे, उन्हे गिरफ्तार किया जा सकेगा।
इस तरह व्यापमं घोटाले की जांच कुछ समय और लम्बी चलेगी। इधर उस पेनड्राइव की जांच भी शुरू हो गई है जिसमें शिवराज सिंह चौहान का नाम दर्ज है। यदि जांच में वो सबकुछ सही पाया गया जो दिग्विजय सिंह कह रहे हैं तो बाबू रामनरेश यादव निर्दोष साबित हो जाएंगे और उनके स्थान पर आरोपी होंगे मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान।
इस मामले में अब सबकी नजरें पेनड्राइव की जांच रिपोर्ट पर टिक गईं हैं। देखते हैं वहां क्या कुछ होता है हाईप्रोफाइल।